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मान्यताओं के अनुसार, सावन में आने वाली एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस साल कामिका एकादशी का व्रत बुधवार, 31 जुलाई 2024 को किया जाएगा। एकादशी पर तुलसी संबंधी कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, ताकि जीवन में इसके अच्छे परिणाम मिलते रहें।
इस बातों का रखें ध्यान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी माता
सोमवार, 22 जुलाई 2024 से सावन या श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी हैं। सावन शुरु होते ही देशभर के प्रत्येक शिव मंदिर में दर्शन व पूजन के लिए की भक्तों की लंबी कतार लगने लगी है। मान्यता है की इस माह में भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
स्वामी अंजनी नंदन दास अनुसार, सृष्टि के संचालनकर्ता भगवान विष्णु (Lord Vishnu) आषाढ़ी एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक राजा बलि के यहां शयन करते हैं, इस लिए चौमासे यानी चातुर्मास (Chaturmas
सोमवार के दिन से सावन की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक दृष्टि से इस माह को बहुत ही पवित्र माना जाता है। यह माह पूर्ण रूप से भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर 108 बेलपत्र चढ़ाने से व्यक्ति की बड़ी-से-बड़ी हल हो जाती है। तो चलिए जानते हैं इसका तरीका।
भगवान राम की भी मिलेगी कृपा
सावन में या सावन सोमवार के दिन 108 बेलपत्र लेकर उनपर चंदन से राम लिखें। इसके बाद इन बेलपत्रों को शिवलिंग पर अर्पित करें। ऐसा
मंगला गौरी व्रत बेहद ही कल्याणकारी माना जाता है। यह सावन माह में आता है। इस बार यह 23 जुलाई, 2024 यानी आज से शुरू हो रहा है। यह व्रत मुख्य रूप से सावन महीने में आने वाले प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। इस शुभ दिन पर महिलाएं सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस कठिन उपवास का पालन करने से विवाह से जुड़ी सभी समस्याओं का अंत होता है, तो आइए इस दिन (Mangla Gauri Vrat 2024) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं
सावन का महीना अपने आप में बेहद शुभ माना जाता है। इस बार यह आज यानी 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस पूरे महीने सोमवार व्रत रखना एक पुरानी परंपरा और अनुष्ठान है, जिसका लोग भक्ति और भाव के साथ पालन करते हैं। साथ ही भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह समय शिव पूजा के लिए बहुत ही शुभ होता है।
इसमें किसी भी प्रकार के मुहूर्त और योग की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में इस दौरान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव मंदिर