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हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना गया है और धर्म ग्रंथों में चंद्रमा की 16 वीं कला को अमा कहा गया है। अमा में चंद्रमा की 16 कलाओं की शक्ति शामिल होती है। इस दिन पितर और पीपल की पूजा करने का विधान है, मान्यता है कि ऐसा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हर माह में एक अमावस्या आती है। इनमें शनि अमावस्या और सोमवती अमावस्या का महत्व अधिक है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दो बार शनि अमावस्या और एक बार सोमवती अमावस्या आएगी। नया साल आने
नई दिल्ली। माघ माह के प्रमुख त्योहारों में से हैं बसंत पचंमी का पर्व जिसे हम सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। मां सरस्वती का रुप बहुत निराला है। मां के हाथों में पुस्तक, वीणा, और माला है जो श्वेत कमल पर विराजमान हैं।
इस दिन मां सरस्वती की आराधना और पूजा-अर्चना की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान के साथ-साथ संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प कला की भी देवी हैं। इसीलिए इस दिन को श्री पंचमी, माघ पंचमी
महाकुंभ का आरंभ 13 फरवरी को हो चुका है। अब तक करीब 8 करोड़ लोग प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ हर 12 साल में एक बार आता है, इसमें गंगा स्नान करने वालों के समस्त पाप धुल जाते हैं।
कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। यही वजह है कि महाकुंभ में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर आप भी महाकुंभ जाने का प्लान कर रहे हैं तो कुछ खास बातों का जरुर ध्यान रखें।
महाकुंभ जाने से पहले जान लें ये 10 बातें
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माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। मौनी अमावस्या पर किए गए धार्मिक कार्य नाराज पितरों को प्रसन्न करते हैं और खरतनाक पितृ दोष से मुक्ति दिलाते हैं।
मौनी अमावस्या 2025
मौनी अमावस्या पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस अमावस्या पर्व पर पितरों की शांति के तर्पण जरुर करें। इससे पितृ दोष समाप्त होता है।
पितरों की नाराजगी दूर करने के लिए मौनी अमावस्या पर ऊनी कपड़े, तिल, जूते-चप्पल आदि का