khabarworld24.com - दिल्ली में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं, और संघ परिवार की बढ़ती सक्रियता ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चिंता बढ़ा दी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके अनुषांगिक संगठनों ने पिछले कुछ महीनों में राजधानी में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं, जिसका उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मजबूत करना और उसके चुनावी विजय मार्ग को आसान बनाना है।
संघ परिवार की भूमिका और रणनीति
आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन—जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP), भारतीय मजदूर संघ (BMS), विद्यार्थी परिषद (ABVP)—ने दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। ये संगठन सामुदायिक कार्यक्रमों, धार्मिक आयोजनों, और सामाजिक सेवा के कार्यों के माध्यम से जनता से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
संघ परिवार की यह रणनीति भाजपा के लिए जनाधार तैयार करने और हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूती से आगे बढ़ाने पर केंद्रित है। आरएसएस का "शाखा मॉडल"—जहां प्रतिदिन सामुदायिक बैठकों के जरिए युवाओं को संघ के विचारधारा से जोड़ा जाता है—दिल्ली के कई इलाकों में पुनः सक्रिय हो गया है।
चुनावी तैयारियों में संघ की सक्रियता
जानकारों के मुताबिक, आरएसएस ने दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में करीब 50% क्षेत्रों में अपने स्वयंसेवकों को सक्रिय कर दिया है। संघ परिवार का लक्ष्य स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रवादी एजेंडा को जनसाधारण के बीच स्थापित करना है। इन संगठनों की सक्रियता भाजपा की चुनावी तैयारियों में बड़ी मदद कर रही है, खासकर जब बात बूथ स्तर की चुनावी रणनीति की आती है।
आंकड़े:
- पिछले तीन महीनों में आरएसएस की शाखाओं में वृद्धि: दिल्ली में जुलाई से अक्टूबर के बीच 500 से अधिक नई शाखाएं शुरू की गई हैं, जबकि पहले यह संख्या करीब 1,200 थी। अब यह बढ़कर 1,700 से अधिक हो गई है।
- स्वयंसेवकों की संख्या: पिछले एक साल में दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों की संख्या में 25% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो वर्तमान में लगभग 50,000 तक पहुंच चुकी है।
- सामुदायिक कार्यक्रम: दिल्ली में संघ परिवार ने पिछले छह महीनों में 300 से अधिक सामुदायिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए हैं।
केजरीवाल की प्रतिक्रिया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संघ परिवार की इस बढ़ती सक्रियता पर चिंता जताई है। आम आदमी पार्टी (AAP) के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल सरकार को इस बात की आशंका है कि संघ परिवार की गतिविधियां भाजपा के पक्ष में मतदाताओं को ध्रुवीकृत कर सकती हैं। केजरीवाल ने अपने हालिया भाषणों में भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा है कि वे "धार्मिक और सांप्रदायिक भावनाओं" का इस्तेमाल करके दिल्ली के विकास को प्रभावित करना चाहते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा, संघ के सहारे चुनावी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है और यह दिल्ली की जनता को धार्मिक आधार पर बांटने का प्रयास है। केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी और संघ के प्रयासों का सामना करेगी।
आम आदमी पार्टी की रणनीति
संघ परिवार की गतिविधियों को देखते हुए, आम आदमी पार्टी (AAP) भी अपने कैडर और कार्यकर्ताओं को अधिक सक्रिय कर रही है। पार्टी ने उन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की योजना बनाई है, जहां संघ परिवार की उपस्थिति बढ़ी है। AAP के नेता मोहल्ला क्लीनिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर केंद्रित रहकर संघ के राष्ट्रवादी एजेंडे का मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा, केजरीवाल ने संघ और भाजपा की गठजोड़ की रणनीति का सामना करने के लिए विशेष रूप से अल्पसंख्यक और दलित मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने पर जोर दिया है। AAP का मानना है कि संघ की गतिविधियों के बावजूद, दिल्ली के मतदाता विकास और पारदर्शिता के मुद्दों पर भरोसा करेंगे।
निष्कर्ष
दिल्ली में संघ परिवार की बढ़ती सक्रियता और भाजपा के पक्ष में इसका प्रभाव निस्संदेह चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, आम आदमी पार्टी इस चुनौती का सामना करने के लिए अपनी विकास-आधारित नीति पर भरोसा कर रही है। आगामी चुनावों में देखना होगा कि संघ परिवार की यह रणनीति भाजपा को कितनी मदद पहुंचाती है, और केजरीवाल सरकार इस चुनौती का कैसे सामना करती है।
स्रोतों के अनुसार: दिल्ली में आरएसएस की गतिविधियों पर बढ़ी निगरानी और चुनावी दृष्टिकोण से उनकी संख्या में तेजी से वृद्धि।
खबर वर्ल्ड24-बालकृष्ण साहू-छत्तीसगढ़