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हिंदू धर्म में शनिवार का दिन बेहद शुभ माना गया है। इस दिन भगवान शनि की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके साथ ही कुंडली से शनि दोष का प्रभाव कम होता है। शनि महाराज की पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी होती है। इसलिए शनिवार की शाम उनकी विधिपूर्ण पूजा करें और पीपल वृक्ष के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं। फिर उसकी 7 बार परिक्रमा करें।
अंत में शनि चालीसा का पाठ कर आरती करें। ऐसा
मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन अति उत्तम माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है। शुक्रवार के दिन धन की देवी की पूजा का विधान है, जो भक्त मां को सदैव के लिए प्रसन्न करने की कामना रखते हैं, उन्हें शुक्रवार के दिन मां के समक्ष घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद कमल का फूल और आंवले का फल अर्पित करना चाहिए।
फिर 'श्री कनकधारा स्तोत्र' का पाठ करना चाहिए। अंत में
आषाढ़ गुप्त नवरात्र साल में दो बार मनाई जाती है। इस व्रत का देवी दुर्गा के भक्तों के लिए विशेष महत्व है। मां का आशीर्वाद पाने के लिए यह अवधि बहुत ही सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन से नौवें दिन चंद्रमा के बढ़ते चरण तक चलता है। इस दौरान लोग माता दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करते हैं।
आज इस महापर्व की अष्टमी तिथि मनाई जा रही है, जिसमें कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है
सनातन धर्म के सबसे पवित्र व्रतों में से एक देवशयनी एकादशी का व्रत माना गया है। यह एकादशी अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। इस तिथि पर लोग श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस कठिन व्रत का पालन करते हैं, उन्हें श्री हरि का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही उनके जीवन में खुशहाली आती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई, 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा, तो चलिए इस पावन
सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। इस शास्त्र के माध्यम से भविष्य की गणना की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में ग्रहों को दो वर्गों में बांटा गया है। चंद्र, बुध, गुरु और शुक्र शुभ ग्रह माने जाते हैं। वहीं, मंगल, राहु, केतु और शनि को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। शुभ ग्रह के रहने पर जातक की शादी शीघ्र हो जाती है। वहीं, अशुभ ग्रहों के चलते विवाह में बाधा आती है। कुंडली में कई प्रकार के दोष लगते हैं। इन दोषों के चलते