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हिंदू धर्म में पूर्वजों का बहुत महत्व दिया जाता है। उनकी आत्मा की शांति के लिए व्यक्ति श्राद्ध, पिंडदान जैसे अनुष्ठान करता है। हर महीने की अमावस्या तिथि के अलावा पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को ही समर्पित माने जाते हैं। इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, दान-पुण्य आदि करना चाहिए। पितरों के नाराज होने पर पितृ दोष लगता है। पितृदोष के कारण जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। वहीं
अश्विन माह में शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। मां दुर्गा के भक्तों को इस नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है। शारदीय नवरात्रि में 9 दिन तक देवी के नौ स्वरूपों को प्रसन्न करने के लिए पूज, गरबा, कन्या पूजन, जगराता आदि किए जाते हैं। जगह-जगह पंडाल बनाकर देवी की स्थापना की जाती है।
शारदीय नवरात्रि अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि से नवमी तक रहती है और दशमी के दिन देवी दुर्गा का विसर्जन किया जाता है। पंचांग भेद की वजह से कई बार नवरात्रि आठ दिन की
29 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है, पितृ पक्ष 14 अक्टूबर तक रहेंगे। पितृपक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म के साथ-साथ कई उपाय भी किए जाते हैं। इन कार्यों से पितर प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। वहीं, अगर श्राद्ध कर्म ढंग से न किया जाए, तो पितरों की नाराजगी से गुजरना पड़ता है। पितरों के नाराज होने के कारण जातक को पितृ दोष से गुजरना पड़ता है। समय रहते ही पितृ दोष से जुड़े कुछ उपाय कर लेने
शास्त्रों के अनुसार पूर्वज गंध रस के तत्व से प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का पिंडदान, तर्पण में विशेष तरह के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसका नाम है काश का फूल।
कहा जाता है अगर पूजा पाठ में काश के फूलों का इस्तेमाल न किया जाए तो व्यक्ति का श्राद्ध कर्म पूरा नहीं होता। आइए जानते हैं श्राद्ध के लिए काश के फूल का महत्व। इसके अलावा कौन से फूलों को तर्पण और पिंडदान में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
‘काश’ के फूल के
शनि देव यदि अच्छे कर्मों के लिए अच्छा फल देते हैं तो बुरे कर्मों का दंड देने से भी पीछे नहीं रहते। शनि देव यदि नाराज हो जाए तो जीवन में अप्रिय घटनाएं घटित होने लगती हैं और मनुष्य परेशानियों से घिर जाता है।
यदि आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है या विशेषकर शनिवार के दिन कुछ नुकसान हो रहा है तो यह इस बात का संकेत है कि, शनि देव किसी न किसी कारण आपसे नाराज हैं। अगर आप शनि को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो शनिवार के दिन बिना किसी