खबर वर्ल्ड न्यूज-अजय शर्मा-बिलासपुर। सूर्योपासना के महापर्व छठ पर अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देने रविवार को नगर सहित आसपास के छठ घाटों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। परंपरानुसार व्रती श्रद्धालुओं और परिवार के सदस्यों ने सिर पर पूजन सामग्री लेकर छठ घाट पहुंचने के बाद स्नान कर विधि-विधान से अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की। अरपा नदी के किनारे छठ घाट में हजारों श्रद्धालुओं और शहरवासियों की भीड़ उमड़ पड़ी। छठ मईया के भक्ति गीतों से पूरा शहर भक्ति रस में डूबा रहा।

छठ महापर्व पिछले कई वर्षों से संभाग मुख्यालय बिलासपुर में सबसे बड़ा उत्सव बन गया है। सूर्योपासना के महापर्व छठ पर्व के दिन रविवार शाम नगर सहित आसपास के क्षेत्रों में स्थित छठ घाटों में अस्त होते सूर्यदेव को अर्घ्य देने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।दोपहर बाद से ही नगर के छठ घाटों की ओर सिर पर पूजन सामग्री का दौरा लेकर लोग परिवार सहित पहुंचे।

त्योहार पर लोकगीतों की परंपरा रही है, किंतु छठ पर्व पर विशेष धुन और विशिष्ट अंदाज में लोकगीत गाने की परंपरा है। कांच ही बांस की बहंगिया... बहंगी लचकत जय..., गंगा मैय्या कांच ही बांस की बहंगिया... बहंगी लचकत जाए.... गंगा मईया की ऊंची लहरिया, गंगा उमड़त जाए... जैसे सुमधुर गीत महिलाएं समूह में गाते हुए छठ घाटों तक पहुंची।छटघाट में हजारों लोगों ने की सूर्योपासना की। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। छटघाट में समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। रात्रि जागरण का भी आयोजन यहां किया गया है।