होली के सात दिन बाद चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी को और कहीं-कहीं अष्टमी को शीतला व्रत किया जाता है। मालवा-निमाड़ में सप्तमी और उत्तर-प्रदेश में अष्टमी के दिन देवी शीतला की पूजा करने के बाद रात का बना खाना खाकर इस व्रत को किया जाता है।
सर्दी के जाने और गर्मी के आने से पहले की ऋतु वसंत संक्रमणकालीन ऋतु कहलाती है। इसमें प्रकृति भी अनुकूलन करने के लिए परिस्थिति मुहैया कराती है और हमारी परंपराएं भी।
K.W.N.S.- रायपुर। साल 2019 में होली के महापर्व पर कब होलिका दहन होगा, होलिका दहन का समय क्या है, ज्योतिषियों का कहना है कि होली पर अगर आप विधि विधान से परिक्रमा कर सही प्रसाद चढ़ा दें तो खाली झोली भरते देर नहीं लगेगी। क्योंकि इस बार होलिका दहन पर बेहद शुभ संयोग बन रहा है। होलिका पूजन करने हेतु होलिका दहन वाले स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है। इसके बाद मोहल्ले के चौराहे पर होलिका पूजन के लिए डंडा स्थापित
भगवान शिव के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बड़ा ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की खासी भीड लगी रहती है। इस खास मौके पर हम आपको बता रहे हैं भगवान के शिव के एक अनोखे मंदिर के बारे में जहां भगवान शिव के अंगूठे की पूजा होती है। भगवान शिव का यह खास मंदिर अचलगढ़ की पहाड़ियों में बना है, जो कि माउंट आबू से करीब 11 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित है।
शिव यानी कल्याणकारी, शिव अर्थात बाबा भोलेनाथ, शिव मतलब शिवशंकर, शिवशम्भू, शिवजी, नीलकंठ, रूद्र आदि। हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव शंकर सबसे लोकप्रिय देवता हैं, वे देवों के देव महादेव हैं तो असुरों के राजा भी उनके उपासक रहे। आज भी दुनिया भर में हिंदू धर्म के मानने वालों के लिये भगवान शिव पूज्य हैं।
इनकी लोकप्रियता का कारण है इनकी सरलता। इनकी पूजा आराधना की विधि बहुत सरल मानी जाती है।
K.W.N.S.- रायपुर। महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे बड़ा पर्व है। इसी वजह से कोई भी भक्त किसी भी तरह भोलेनाथ की सेवा में कमी नहीं छोड़ना चाहता है। शिव शंकर को खुश करने के लिए अपनी पूजा-अर्चना से लेकर पवित्र नदियों में स्नान तक, सबकुछ करता है। लेकिन जिन भक्तों के पास वक्त की कमी होती है, वो हर बार निराश हो जाते हैं। क्योंकि वह अपने शिव की विधिवत पूजा नहीं कर पाते। अगर आप भी ऐसे ही भक्तों की लिस्ट में शामिल हैं जिनके