कार्तिक मास की पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली के त्रिपुरों का नाश किया था। त्रिपुरों का नाश करने के कारण ही भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी प्रसिद्ध है। भगवान शिव ने कैसे किया त्रिपुरों का नाश, ये पूरी कथा इस प्रकार है-
शिवपुराण के अनुसार, दैत्य तारकासुर के तीन पुत्र थे- तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली।
हिंदू धर्म में श्रावण मास का बहुत बड़ा महत्व है। यह बहुत ही पवित्र माना गया है। शास्त्रों में भी श्रावण मास को काफी महत्व दिया गया है। यह अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक जुलाई और अगस्त के बीच का महीना होता है। अगर इस महीने की विशेषताओं की बात करें तो कई अहम बातें सामने आती हैं।
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मास में भोले शंकर की पूजा का विशेष महत्व दिया गया है। यह हिंदू पंचांग
उज्जैन। वैशाख शुक्ल द्वितीया पर 4 जुलाई को दोपहर 2 बजे बुधवारिया से इस्कॉन की रथ यात्रा निकलेगी। भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा व बलराम के साथ रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। भगवान के नगर भ्रमण के लिए मुंबई, कोलकाता के 9 कारीगरों ने सुंदर पोशाक तैयार की है। वस्त्रों को तैयार करने में 30 दिन का समय लगा। पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया अरुणाक्ष प्रभु, निमाई सुंदरप्रभु व पंकज नेत्रप्रभु के निर्देशन में
पद्मभूषण महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज का बुधवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्हें बुधवार शाम वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राजकीय सम्मान और सनातनी परंपराओं के साथ उनके निवास राघव कुटीर परिसर में ध्यानावस्था में भू-समाधि दे दी गई। स्वामी सत्यमित्रानंद 87 साल की उम्र में मंगलवार सुबह ब्रह्मामलीन हो गए थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासन के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि
साईं बाबा अपने अंतिम दिनों में अपने भक्तो से धार्मिक पुस्तके पढवाते थे और उन्हें उस पुस्तक का आंतरिक ज्ञान समझाते थे । शिर्डी साईं बाबा समाधी यह हर दिन सुबह और शाम को होता था ।
बाबा साई अपने अंतिम दिनों में दिनों दिन कमजोर होते जा रहे थे ।पर उन्होंने अपने इस बीमारी में भी अपने भक्तो से मिलना उन्हें उड़ी देना उन्हें ज्ञान देना नही छोड़ा। वे तो अपना सबकुछ पहले से ही अपने भक्तो के नाम कर चुके थे