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K.W.N.S.-Ashish Kanthale-बेमेतरा। ‘‘जहां चाह वहां राह’’ इस उक्ति को आदर्श मानकर बेमेतरा जिला के थानखम्हरिया तहसील के ग्राम ठेलका मे जय मां कर्मा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अन्तर्गत होली पर्व को ध्यान मे रखते हुए हर्बल गुलाल तैयार किया गया है। कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने सरकार द्वारा जारी गाईडलाइन का पालन करते हुए इस बार सादगीपूर्वक होली मनाई जायेगी। स्व-सहायता समूह द्वारा गोबर की धुप का निर्माण भी किया गया है। समूह से जुड़ी श्रीमती मीना मारकण्डे ने बताया कि समूह द्वारा संयुक्त जिला कार्यालय मे हर्बल गुलाल का स्टॉल बिक्री हेतु लगाया था। अब तक 3800 रुपये की बिक्री हुई है। उन्होने बताया कि पलाश (टेशु) फूल, चुकन्दर, पालक, लालभाजी, गैंदा फूल का उपयोग कर हर्बल गुलाल का निर्माण किया गया है। पर्यावरण मैत्री उत्पाद निर्माण की दिशा मे समूह का बढ़ता कदम है। प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप सुराजी गांव योजना के अर्न्तगत गौठान ग्रामीण क्षेत्रों मे आजीविका केन्द्र के रुप मे उभर रहे हैं।
 बेमेतरा तहसील के अन्तर्गत ग्राम झालम के सरस्वती स्व-सहायता महिला समूह एवं आदिवासी स्व-सहायता महिला समूह द्वारा भी हर्बल गुलाल तैयार कर बिक्री हेतु आज संयुक्त जिला कार्यालय (कलेक्टोरेट) परिसर मे स्टॉल लगाया गया था। समूह से जुड़ी श्रीमती धनन्या नेताम ने बतया कि समूह द्वारा अब तक लगभग 3000 हजार रुपये का हर्बल गुलाल बेचा है। इसी तरह बेलगांव की जय बजरंग स्वसहायता समूह द्वारा भी हर्बल गुलाल तैयार कर स्टॉल लगाया गया। जिले के ग्राम-सरदा, सोंढ़, बिलई, चंदनू, बालसमुन्द, ओडिया, खाती, देउरगांव, केंहका, टीपनी एवं मोहतरा के स्व-सहायता समूह द्वारा भी हर्बल गुलाल तैयार किया गया है।
  होली के दौरान केमिकल युक्त रंग-गुलाल मानव त्वचा को हानि पहुंचाते हैं ऐसे मे हर्बल गुलाल का उपयोग करगर माना गया है। हर्बल गुलाल के फायदे-स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नही बल्कि ठण्डक प्रदान करता है, आंखों मे चले जाने से काई जलन नही, हल्दी गैंदा, टेशु फूल,  गुलाब चुकन्दर अनार जैसे प्राकृतिक पुष्प फलों से बने जैविक गुलाल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
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