चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहते है। इससे चैती पूनम के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास हिंदू वर्ष का पहला मास होता है। ऐसे में चैत्र पूर्णिमा का खास महत्व है। इस दिन भक्त भगवान सत्य नारायण की पूजा कर उनकी कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं। वहीं, रात के समय चंद्रमा की पूजा की जाती है। उत्तर भारत में इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। चैत्र पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

चैत्र पूर्णिमा तिथि व मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को है। पूर्णिमा आरंभ 03.27 से होकर 24 अप्रैल को 05.20 मिनट पर समाप्त होगा।

चैत्र पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, हवन, व्रत और जप का महत्व है। इस दिन भगवान सत्य नारायण की पूजा और जरूरतमों को दान देना चाहिए। चैत्र पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि-

प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। व्रत का संकल्प लेकर भगवान सत्य नारायण की पूजा करें। रात में चंद्र देव का पूजा करने के बाद जल अर्पण करें। पूजन के अन्न से भरा घड़ा किसी को दान करना चाहिए।

चैत्र पूर्णिमा का महत्व
चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम कहा जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण ने ब्रज में रास रचाया था। जिसे महारास के नाम से भी जाना जाता है। महारास में गोपियों ने हिस्सा लिया था। सभी गोपियों के साथ भगवान कृष्ण ने रातभर नृत्य किया था।

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