चैत्र नवरात्र की महाआष्टमी पर मंगलवार को मंगल पुष्य नक्षत्र का महासंयोग रहेगा। इसकी साक्षी में दिनभर पूजन, अनुष्ठान तथा विभिन्न वस्तुओं की खरीदी की जा सकती है। इस दिन पद, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, मांगलिक दोष की निवृत्ति के लिए मंगलनाथ व अंगारेश्वर मंदिर में महामंगल की पूजा करना भी शुभ रहेगा।

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया भारतीय ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों का उल्लेख है। इनमें पुष्य नक्षत्र को राजा बताया गया है। इसकी मौजूदगी में पूजा, अनुष्ठान, मांगलिक कार्य फलदायी माने गए हैं। पुष्य नक्षत्र की साक्षी में सोना, चांदी, भूमि, भवन, वाहन, इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद आदि की खरीदी स्थायी समृद्धि प्रदान करती है। 16 अप्रैल को चैत्र नवरात्र के दिन पुष्य नक्षत्र की साक्षी विशेष शुभ मानी गई है।

हिंदू नववर्ष का राजा मंगल, शुरुआत में मंगल पुष्य
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर मंगलवार से पिंगला नवसंवत्सर का शुभारंभ हुआ है, इस वर्ष संवत्सर का राजा मंगल है। उज्जैन को मंगल ग्रह की भूमि कहा गया है। नए वर्ष के प्रथम सप्ताह में ही मंगल पुष्य नक्षत्र का महासंयोग बना है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से यह सब स्थितियां अनुकूल है। इस दिन देवी साधना व महामंगल की पूजा मनोवांछित फल प्रदान करने वाली मानी जा रही है।

पूजन व खरीदी के शुभ मुहूर्त
-सुबह 9 से 10.30 बजे तक चंचल
-सुबह 10.39 से दोपहर 12 बजे तक लाभ
-दोपहर 12 से 1.30 बजे तक अमृत
-दिन में 11.30 से 12.30 अभिजीत मुहूर्त
-दोपहर 3 से शाम 4.30 बजे तक शुभ

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