KWNS – रायपुर। राजधानी रायपुर के कुख्यात सूदखोर और हिस्ट्रीशीटर वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर को बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत नहीं मिल सकी है। दोनों भाइयों की अग्रिम जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट ने खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। जानकारी के अनुसार, दोनों आरोपी पिछले कई महीनों से फरार चल रहे हैं। रायपुर पुलिस ने इन दोनों को फरार घोषित करते हुए इनाम की घोषणा भी कर रखी है। आरोप है कि दोनों भाइयों ने लंबे समय से ब्याज पर पैसा देकर कई लोगों से अत्यधिक सूद वसूला और कई मामलों में धमकी व उगाही की शिकायतें भी दर्ज हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान तोमर बंधुओं की ओर से अधिवक्ता सतीश चंद वर्मा ने पैरवी की, जबकि राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता डॉ. सौरभ कुमार पांडे ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों की विस्तृत बहस के बाद अदालत ने पाया कि आरोपियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि और कई मामलों में फरारी की स्थिति को देखते हुए अग्रिम जमानत देना उचित नहीं है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब आरोपी लगातार पुलिस जांच से बचते रहे हैं और फरारी के दौरान नए अपराधों की भी शिकायतें सामने आई हैं, तो ऐसी स्थिति में उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
हालांकि, इसी मामले में वीरेंद्र और रोहित तोमर की पत्नियों शुभ्रा तोमर और भावना तोमर समेत रिश्तेदार दिव्यांश तोमर को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। अदालत ने माना कि उनके खिलाफ प्रत्यक्ष आपराधिक भूमिका स्पष्ट नहीं है, इसलिए उन्हें अंतरिम राहत दी जा सकती है। रायपुर पुलिस सूत्रों के मुताबिक, तोमर बंधु शहर के सबसे सक्रिय सूदखोर गिरोहों में शामिल हैं। इनके खिलाफ लोन वसूली के नाम पर धमकाने, संपत्ति कब्जाने और मारपीट के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने दोनों को पकड़ने के लिए विशेष टीम गठित की है और शहर से बाहर संभावित ठिकानों पर दबिश भी जारी है।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद रायपुर पुलिस को बड़ी कानूनी मजबूती मिली है। अब फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई तेज किए जाने की उम्मीद है। पुलिस का कहना है कि अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद दोनों आरोपियों के आत्मसमर्पण या गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है। बिलासपुर हाईकोर्ट का यह आदेश उन मामलों में भी एक मिसाल माना जा रहा है, जहां सूदखोरी और वित्तीय शोषण से जुड़े अपराधों में आरोपी फरार रहते हुए न्यायिक राहत पाने की कोशिश करते हैं। अदालत का निर्णय स्पष्ट संकेत देता है कि ऐसे गंभीर अपराधों में संलिप्त और फरार आरोपी किसी भी प्रकार की अग्रिम सुरक्षा पाने के पात्र नहीं हैं। फिलहाल, रायपुर पुलिस तोमर बंधुओं की तलाश में जुटी हुई है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही दोनों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाएगा।


