केंद्र सरकार ने कंटेनमेंट जोन के बाहर आठ जून से धार्मिक स्थलों, रेस्टोरेंट, होटल आदि खोलने की इजाजत दे दी है। देश में 5.0 लॉकडाउन का लागू होना उतना ही जरूरी हो गया था, जितना लॉकडाउन में ढील देना। कड़ाई और ढील की मिली-जुली व्यवस्था ही समय की मांग है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी इसी मजबूरी की ओर संकेत करते हुए चेताया है कि देश खुल गया है, अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। वाकई
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष ...गंगा मुंडा तालाब से बातचीत!!
नवीन श्रीवास्तव- बदहाली के साथ जिम्मेदार लोगों के अनदेखी, उपेक्षा के चलते अपनी गरिमा और अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे स्थानीय गंगा मुंडा तालाब को देख कर मुझे लगा कि कोई उस की व्यथा सुन नहीं रहा है कोई उसकी दुर्गति देखने वाला नहीं तो मैंनेने सोचा क्यों ना तालाब की पीड़ा को उसकी ही आवाज बनाई जाए.. ताकि अपनी दुनिया में मशगूल केवल विकास के ढोल पीटने वाले
यही वह समय है, जब सारे बंद दरवाजे एक-एक कर खोल देने चाहिए। पिछले दो महीनों के दौरान हम सबने अपने-अपने दरवाजों को बंद रखा, ताकि कोरोना से बचा जा सके। बचने की इस कोशिश में हम लड़ना भूलते जा रहे थे। अब यह लड़ने का वक्त है। घरों से बाहर आकर कोरोना के खिलाफ एक नयी जंग शुरू करने का वक्त है।
पूरी दुनिया इस बात को समझ रही है कि कोरोना के संक्रमण की गति को कम करने के लिए लॉकडाउन जैसे उपाय थोड़े समय के लिए
जरूरतमन्दों के दुख-भूख से लड़ने वाले ..कोरोना वॉरियर ..जागरूकता का मंत्र भी बांटे.लड़ाई होगी आसान
खबरवर्ल्ड न्यूज सर्विस/नवीन श्रीवास्तव/ कोरोना संक्रमण काल को लेकर पूरी दुनिया के साथ हमारे देश मे भी इसके खिलाफ लगातार लड़ाई जारी है कोई कह रहा है कोरोना के जाने में लंबा समय है ..कहीं से यह खबर आ रही है कि हमे इसके साथ ही जीने की सीखनी पड़ेगी,डब्ल्यू एच् ओ ने यहाँ तक कह दिया है कि शायद कभी खत्म ना हो बहरहाल