हिमाचल प्रदेश जितना अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण जाना जाता है उतना ही यहां की परंपराओं के कारण भी। आज हम आपको बता रहे हैं कुल्लू के शांघड़ गांव के देवता शंगचुल महादेव के बारे में जो घर से भागे प्रेमी जोड़ों को शरण देते हैं। शांघड़ गांव कुल्लू की सेंज वैली में है। पांडव कालीन शांघड़ गांव में कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं। इन्हीं में से एक हैं यहां का शंगचुल महादेव मंदिर। यहां डलहौजी के खजियार की तरह ग्रास फील्ड
श्रीसत्यनारायण व्रत महान पुण्य प्रदान करने वाला है। यह व्रत मोह पाश से मुक्त करने वाला है। इस संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। जिसने सत्य के प्रति विश्वास किया, उसके कार्य सिद्ध होते हैं। श्रीसत्यनारायण की कथा से मनुष्य वास्तविक सुख-समृद्धि का स्वामी बन सकता है। श्रीसत्यनारायण कथा सुनने मात्र से पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। यह पूजा पूर्णिमा के दिन पर ही नहीं अन्य शुभ अवसर पर भी की जा सकती
श्रीरामचरित मानस लिखने के दौरान तुलसीदासजी ने लिखा- सिय राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरी जुग पानी!अर्थात 'सब में राम हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।'
यह लिखने के उपरांत तुलसीदासजी जब अपने गांव की तरफ जा रहे थे तो किसी बच्चे ने आवाज दी- 'महात्माजी, उधर से मत जाओ। बैल गुस्से में है और आपने लाल वस्त्र भी पहन रखा है।' तुलसीदासजी ने विचार किया कि हूं, कल का बच्चा हमें उपदेश दे रहा है। अभी
सुख-संतोष की देवी मां के पिता गणेश और माता रिद्धि-सिद्धि हैं। रिद्धि-सिद्धि धन, धान्य, सोना, चांदी, मूंगा, रत्नों से भरा परिवार होने के कारण इन्हें प्रसन्न्ता, सुख-शान्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति करने की देवी भी माना गया है। सुख-सौभाग्य की कामना से माता संतोषी के 16 शुक्रवार तक व्रत किये जाने का विधान है।
मां की व्रत-कथा -
एक बुढ़िया थी। उसका एक ही पुत्र था। बुढ़िया पुत्र के विवाह
ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है। इस दिन गोदान, वस्त्र दान, फल, धार्मिक पुस्तकों का दान करना चाहिए। इस व्रत को करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और घर में सुख शांति का वास होता है। इस दिन अपने घर की छत पर पानी से भरा बर्तन अवश्य रखें।