अयोध्या में भारतीय संस्कृति के प्राण तत्वों की प्रतिष्ठा
राम सभी के हैं। राम सभी में हैं। राम सगुण साकार भी हैं और निर्गुण निराकार भी हैं। दोनों ही दृष्टियों धारणाओं-अवधारणाओं के राम गुणों से समृद्ध हैं सदगुणों के स्वामी हैं। वाल्मीकि तो समग्र रामाख्यान के प्रत्यक्षदर्शी हैं। उनके राम उनके लिए समकालीन हैं राजर्षि हैं और एक आदर्श राज्य के संस्थापक हैं जिसे हम सब रामराज्य के नाम से जानते समझते हैं।
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही सदियों से संजोया गया सपना सकार हो गया। यह मात्र एक सपना नहीं, बल्कि संकल्प भी था और इसीलिए उसकी पूर्ति करोड़ों भारतीयों को श्रद्धाभाव से पूरित करने वाली है। खुशी के आंसू सचमुच देखने को मिल रहे हैं। इसका कारण यही है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर केवल राम के नाम का मंदिर ही निर्मित नहीं हुआ है, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्राण तत्वों की प्रतिष्ठा भी हुई है। इसी के साथ आहत भारतीय स्वाभिमान को संबल भी मिला है।