khabarworld24.com - संसद के बजट सत्र के पांचवे दिन विपक्षी दलों ने अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन के मुद्दे पर जोरदार हंगामा किया। विपक्षी नेताओं ने इस कार्रवाई को भारतीय नागरिकों के खिलाफ अन्याय करार दिया और केंद्र सरकार की विदेश नीति की कड़ी आलोचना की। इसके कारण लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

विपक्ष का हथकड़ी पहनकर प्रदर्शन

विपक्षी नेताओं ने हथकड़ी पहनकर संसद परिसर में प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अच्छे रिश्तों के बावजूद बड़ी संख्या में भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मुद्दे पर तीखे सवाल उठाए और कहा, "मोदी और ट्रम्प अच्छे दोस्त थे, फिर भारतीय नागरिकों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है?"

प्रियंका गांधी का सवाल: मोदी-ट्रम्प के अच्छे रिश्तों के बावजूद डिपोर्टेशन क्यों?

प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार की विदेश नीति की निंदा करते हुए कहा, "यह न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह केंद्र सरकार की विदेश नीति की नाकामी भी है। मोदी सरकार को यह बताना चाहिए कि इतने बड़े पैमाने पर भारतीयों को अमेरिका से क्यों वापस भेजा जा रहा है?"

आंकड़ों के साथ स्थिति की गंभीरता

विपक्ष ने अमेरिकी डिपोर्टेशन नीति पर सवाल उठाते हुए आंकड़ों के आधार पर सरकार की आलोचना की। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में अमेरिका से करीब 25,000 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किया गया है। इसमें 2023 में 10,500 भारतीयों को, 2024 में 8,000 और जनवरी 2025 तक 6,500 भारतीयों को डिपोर्ट किया जा चुका है।

अमेरिकी अधिकारियों ने इस डिपोर्टेशन का कारण अवैध रूप से देश में रह रहे लोगों के खिलाफ सख्त नीति और वीज़ा शर्तों का उल्लंघन बताया है। हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम भारतीय प्रवासी समुदाय पर सीधा हमला है और केंद्र सरकार को इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

विपक्ष का मोदी सरकार पर निशाना

कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक विफलता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर सरकार की गंभीरता सवालों के घेरे में है। विपक्ष ने इस मामले पर विशेष चर्चा की मांग की है और लोकसभा में प्रस्ताव भी पेश करने का प्रयास किया, जिसे सत्तापक्ष ने खारिज कर दिया।

सरकार का रुख

हालांकि, केंद्र सरकार ने इस पर स्पष्ट बयान देते हुए कहा कि भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। विदेश मंत्री ने बताया कि डिपोर्ट किए गए भारतीयों के मामले में कानूनी सहायता और दूतावास की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिकी प्रशासन के साथ इस मुद्दे पर वार्ता जारी है और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा।

भविष्य की दिशा

संसद में इस मुद्दे पर विपक्ष के विरोध को देखते हुए, आगामी दिनों में यह मामला और भी जोर पकड़ सकता है। विपक्ष ने इस विषय पर विशेष जांच की मांग की है, जबकि सत्तापक्ष इसे अंतरराष्ट्रीय मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देख रहा है। वहीं, डिपोर्ट किए गए भारतीय परिवारों की स्थिति को लेकर सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की चिंता भी बढ़ रही है।

संसद के आगामी सत्रों में इस पर विशेष चर्चा होने की उम्मीद है, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि सरकार इस मुद्दे का कैसे समाधान करेगी।


संक्षेप में:

  • संसद में भारतीय नागरिकों के अमेरिका से डिपोर्टेशन पर जोरदार हंगामा।
  • विपक्ष का हथकड़ी पहनकर प्रदर्शन, प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाए।
  • पिछले तीन सालों में 25,000 भारतीयों का डिपोर्टेशन।
  • सरकार ने कूटनीतिक वार्ता जारी रखने की बात कही, लेकिन विपक्ष ने सख्त कार्रवाई की मांग की।


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