khbarworld24-छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों का प्रचार जोरों पर है, जहां राजनीतिक परिवारों की संतानों का भी सक्रिय भागीदारी देखने को मिल रही है। इस बार के चुनाव में भरतपुर-सोनहत की विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह की बेटी मोनिका सिंह सुर्खियों में हैं। मोनिका सिंह ने जिला पंचायत क्षेत्र 15 से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर सभी का ध्यान आकर्षित किया है।
मोनिका सिंह: भाजपा से बगावत के बाद निर्दलीय उम्मीदवार
मोनिका सिंह, जिन्होंने अपनी मां की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए राजनीति में कदम रखा है, इस बार जिला पंचायत के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाग ले रही हैं। हालांकि, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सक्रिय सदस्य हैं और भरतपुर-सोनहत से भाजपा विधायक रेणुका सिंह की बेटी हैं, लेकिन उन्हें पार्टी द्वारा इस सीट से अधिकृत प्रत्याशी नहीं बनाया गया। पार्टी ने वेद प्रकाश सिंह को इस क्षेत्र से टिकट दिया है, जिसके बाद मोनिका सिंह ने बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया।
भाजपा के भीतर बढ़ी बगावत की चुनौती
यह घटना भाजपा के लिए एक नई चुनौती है, जहां पार्टी के ही प्रभावशाली नेता की बेटी मोनिका सिंह पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार वेद प्रकाश सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे मामलों में पार्टी के भीतर बगावत से भाजपा की चुनावी रणनीति और राजनीतिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।
मोनिका सिंह की राजनीतिक पृष्ठभूमि
मोनिका सिंह इससे पहले भी चर्चा में रही हैं, जब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद उन्होंने अपनी मां रेणुका सिंह को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहा था। रेणुका सिंह, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में काम किया, छत्तीसगढ़ की प्रमुख महिला नेताओं में से एक हैं। हालांकि, इस बार मोनिका को पार्टी का टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जिससे भाजपा के भीतर एक और विरोधी स्वर उभर कर सामने आया है।
चुनावी आंकड़े और मोनिका सिंह का प्रभाव
छत्तीसगढ़ में इस बार कुल 8,095 पंचायतों और 20,161 पंचायत समितियों के लिए चुनाव हो रहे हैं। मोनिका सिंह का भरतपुर-सोनहत जिला पंचायत क्षेत्र 15 एक महत्वपूर्ण सीट है, जहां भाजपा की जीत पिछले चुनावों में मजबूत रही है। भाजपा के भीतर बगावत और स्थानीय नेताओं के असंतोष के चलते यह चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
मोनिका सिंह की मां रेणुका सिंह, जो भरतपुर-सोनहत की विधायक हैं और 2014 से 2019 तक केंद्र में मोदी सरकार की मंत्री रह चुकी हैं, इस क्षेत्र में उनका मजबूत राजनीतिक आधार है। मोनिका सिंह का निर्दलीय चुनाव लड़ना भाजपा के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है, खासकर उन युवा और महिला मतदाताओं में जो रेणुका सिंह की प्रशंसा करते हैं।
मोनिका सिंह का सामना
मोनिका सिंह का प्रमुख मुकाबला भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार वेद प्रकाश सिंह से है, जो पार्टी के पुराने और विश्वसनीय नेता माने जाते हैं। इस चुनाव में मोनिका को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा करना भाजपा के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है, क्योंकि पार्टी को भीतर की बगावत से निपटने के साथ ही मजबूत विपक्ष का सामना भी करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
मोनिका सिंह के इस निर्णय से छत्तीसगढ़ की पंचायत चुनाव की राजनीतिक दिशा बदलने की संभावना है। भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय लड़ाई छेड़ना पार्टी की आंतरिक चुनौतियों को उजागर करता है। यह चुनाव केवल पंचायत स्तर का ही नहीं, बल्कि बड़े राजनीतिक संकेत भी दे सकता है, जहां राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित नेताओं के परिवार के सदस्य भी स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक पारी खेलने के लिए तैयार हैं।
निष्कर्षतः, मोनिका सिंह का निर्दलीय चुनाव लड़ना न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक परिदृश्य में नए समीकरण भी बना सकता है।
बालकृष्ण साहू - सोर्स विभिन्न न्यूज़ आर्टिकल