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मुख्य बिंदु:

  • पं. धीरेंद्र शास्त्री करेंगे धर्मांतरण विरोधी पदयात्रा।
  • कांग्रेस ने बताया 'मीडिया जीवी कथा वाचक', जनता को भटकाने का आरोप।
  • 'डबल इंजन सरकार' पर कांग्रेस का कटाक्ष, शर्मनाक बताते हुए उठाए सवाल।

पं. धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा का उद्देश्य

पं. धीरेंद्र शास्त्री, जिन्हें बागेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है, एक बड़ी पदयात्रा निकालने जा रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में हो रहे धर्मांतरण को रोकना है। यह पदयात्रा कई प्रमुख शहरों और गांवों से गुजरेगी, जिसमें शास्त्री के अनुयायियों के अलावा धार्मिक और सामाजिक संगठनों की भागीदारी की उम्मीद है। उनका दावा है कि यह पदयात्रा धर्म की रक्षा और सांस्कृतिक एकता के प्रति जनजागृति पैदा करने के लिए है।

शास्त्री का कहना है कि यह कदम उन घटनाओं के खिलाफ है, जहां कुछ समुदायों द्वारा धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। वे इस पदयात्रा के माध्यम से समाज में एकता और विश्वास की पुनर्स्थापना करना चाहते हैं। शास्त्री का यह भी कहना है कि यह यात्रा किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रक्षा के लिए है।


कांग्रेस का तीखा हमला

धर्मांतरण विरोधी पदयात्रा की घोषणा के बाद कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साधते हुए कहा कि, "वे सिर्फ एक 'मीडिया जीवी कथा वाचक' हैं। उनकी कथाओं और गतिविधियों का उद्देश्य केवल मीडिया में बने रहना है।"

शुक्ला ने शास्त्री पर यह भी आरोप लगाया कि वे जनता का ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस ने शास्त्री की पदयात्रा को राजनीतिक खेल बताते हुए कहा कि यह भाजपा और केंद्र की डबल इंजन सरकार के लिए शर्म की बात है कि उन्हें इस तरह के धर्मांतरण विरोधी कार्यक्रमों का सहारा लेना पड़ रहा है। शुक्ला ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार इन धार्मिक आयोजनों का उपयोग करके अपने असफलताओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।"


धर्मांतरण के आंकड़े

धर्मांतरण के मुद्दे पर विचार करते हुए, कुछ रिपोर्टों के अनुसार, 2023 में देश में विभिन्न धर्मांतरण मामलों में तेजी आई थी। लगभग 3,000 से अधिक धर्मांतरण की घटनाएं रिपोर्ट की गईं, जिनमें से कई मामलों में स्थानीय संगठनों और चर्चों की संलिप्तता पाई गई। वहीं, कुछ राज्य सरकारों ने धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं। धर्मांतरण विरोधी कानूनों के बाद भी कई हिस्सों में धर्मांतरण की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसके चलते सामाजिक तनाव बढ़ा है।

धर्मांतरण के मामले ज्यादातर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में देखे जा रहे हैं, जहां आर्थिक असमानता और सामाजिक पिछड़ेपन का लाभ उठाकर कुछ संस्थाएं धर्म परिवर्तन का प्रयास कर रही हैं। हालांकि, इन मामलों की सटीक संख्या और कारणों पर विभिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं, लेकिन इसे एक संवेदनशील मुद्दा माना जा रहा है।


राजनीतिक संदर्भ और भविष्य की दिशा

धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा और कांग्रेस की प्रतिक्रिया से साफ है कि धर्मांतरण का मुद्दा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होता जा रहा है। भाजपा और विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे पर टकराव गहराता दिख रहा है। जहां शास्त्री इसे धार्मिक जागरूकता का नाम दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक हथकंडा मान रही है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में यह मुद्दा किस हद तक राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनेगा और इस पदयात्रा का सामाजिक प्रभाव क्या रहेगा।

धर्मांतरण के मुद्दे के अलावा, शास्त्री की इस पहल पर देशभर में मिल रही प्रतिक्रियाएं आगामी समय में राजनीतिक और धार्मिक परिदृश्य को बदलने की संभावना रखती हैं।


निष्कर्ष

पं. धीरेंद्र शास्त्री की धर्मांतरण विरोधी पदयात्रा और कांग्रेस के आरोपों ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। शास्त्री के अनुयायियों का मानना है कि यह यात्रा सामाजिक एकता को बढ़ावा देगी, जबकि विपक्ष इसे सिर्फ एक राजनीतिक एजेंडा मान रहा है। अब यह देखना होगा कि जनता इस मुद्दे पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है और यह पदयात्रा कितना असर डालती है।

बालकृष्ण साहू - सोर्स विभिन्न आर्टिकल्स