Khabarworld24.com -वॉशिंगटन: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान अमेरिका की विदेश सहायता नीति में भारी बदलाव किए थे। उन्होंने अपने 'अमेरिका फर्स्ट' (America First) पॉलिसी को लागू करते हुए विदेशों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर व्यापक रोक लगाने का निर्णय लिया। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य था अमेरिकी करदाताओं के धन को अन्य देशों की सहायता में खर्च करने के बजाय अमेरिका के अंदर विकास और सुरक्षा परियोजनाओं पर केंद्रित करना। हालांकि, इजरायल और इजिप्ट जैसे कुछ सहयोगी देशों को इस नीति के तहत राहत दी गई थी।

विदेशी सहायता पर ट्रंप का कठोर कदम

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के इस कदम के बाद यूक्रेन जैसे कई देशों और प्रमुख कार्यक्रमों पर असर पड़ा, खासकर उन देशों पर जिनकी आर्थिक और सैन्य सहायता अमेरिका द्वारा की जा रही थी। ट्रंप ने अपने प्रशासन के दौरान कई बार यह स्पष्ट किया था कि अमेरिका अब उन देशों की सहायता नहीं करेगा, जो उसके रणनीतिक हितों में सीधे शामिल नहीं हैं या जिनसे प्रत्यक्ष लाभ नहीं होता है। इस नीति का सबसे बड़ा उदाहरण यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर अस्थायी रोक थी, जो उस समय अमेरिकी कांग्रेस में काफी विवाद का विषय बना।

इजरायल और इजिप्ट को छूट

हालांकि, ट्रंप की इस सहायता रोक नीति में इजरायल और इजिप्ट को छूट दी गई। यह दो देश लंबे समय से अमेरिका के महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं, खासकर मध्य पूर्व क्षेत्र में। इजरायल को हर साल अरबों डॉलर की अमेरिकी सैन्य और आर्थिक सहायता मिलती है, जो कि उसकी सुरक्षा और सैन्य क्षमता के लिए बेहद जरूरी है। इसी तरह इजिप्ट, जो कि अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण सामरिक साझेदारी निभाता है, विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों में, उसे भी इस नीति से अलग रखा गया।

PEPFAR और यूक्रेन पर असर

यूक्रेन के साथ-साथ PEPFAR (President's Emergency Plan for AIDS Relief) जैसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रम भी प्रभावित हुए। PEPFAR, जो कि एड्स से लड़ने के लिए स्थापित एक वैश्विक कार्यक्रम है, उसे भी ट्रंप प्रशासन की सहायता रोक नीतियों के तहत धनराशि में कटौती का सामना करना पड़ा। इसके कारण अफ्रीका के कई देशों में इस बीमारी से लड़ाई में बाधा आई।

'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी का उद्देश्य

डोनाल्ड ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य था अमेरिकी अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति को प्राथमिकता देना और विदेशों में अनावश्यक सहायता खर्च को कम करना। ट्रंप का तर्क था कि अमेरिका को उन देशों की सहायता करने की आवश्यकता नहीं है, जो अमेरिका के साथ व्यापारिक या सामरिक संबंधों में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दे रहे हैं। इसके बजाय, वे चाहते थे कि अमेरिका अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत को घरेलू परियोजनाओं में निवेश करे।

सहायता रोक के प्रभाव के आंकड़े

  1. विदेशी सहायता में कटौती: ट्रंप प्रशासन ने 2017 से 2021 तक की अवधि में अमेरिकी विदेशी सहायता में लगभग $5.8 बिलियन की कटौती की।

  2. PEPFAR बजट: PEPFAR कार्यक्रम के बजट में लगभग 17% की कटौती की गई, जिससे अफ्रीका में एड्स से लड़ने के प्रयासों पर बड़ा असर पड़ा।

  3. यूक्रेन सहायता: 2020 में ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली $391 मिलियन की सहायता पर अस्थायी रोक लगा दी थी, जो बाद में अमेरिकी कांग्रेस और राजनयिक विवादों के चलते बहाल की गई।

  4. इजरायल और इजिप्ट: 2020 में इजरायल को $3.8 बिलियन और इजिप्ट को लगभग $1.3 बिलियन की सहायता दी गई, जो कि उनके रक्षा क्षेत्र और रणनीतिक साझेदारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी।

ट्रंप की नीति का भविष्य

डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने अमेरिकी विदेश नीति में गहरे बदलाव लाए थे, जिसका प्रभाव न केवल अमेरिका के विदेशों के साथ संबंधों पर पड़ा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और कार्यक्रमों पर भी देखा गया। ट्रंप का यह कदम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी विवादास्पद साबित हुआ, लेकिन उनके समर्थकों ने इसे अमेरिका की संप्रभुता और आर्थिक सुरक्षा के हित में बताया।

वर्तमान में, जो बाइडन प्रशासन ने ट्रंप की कई नीतियों को उलटने की कोशिश की है, लेकिन फिर भी अमेरिकी सहायता की प्राथमिकताओं में बदलाव देखे जा रहे हैं।

निष्कर्ष: ट्रंप का विदेशी सहायता पर रोक लगाने का निर्णय उनके 'अमेरिका फर्स्ट' दृष्टिकोण का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने अमेरिका के रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देने की कोशिश की। इस फैसले से कुछ देश प्रभावित हुए, जबकि इजरायल और इजिप्ट जैसे सहयोगी देशों को इससे राहत दी गई। आगे की अमेरिकी विदेश नीति इस दिशा में किस ओर बढ़ती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

बालकृष्ण साहू - सोर्स विभिन्न आर्टिकल्स