Khabarworld24.com -दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीति गर्म हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी, आम आदमी पार्टी (AAP), लगातार चुनावी वादे और दावे कर रहे हैं। लेकिन इस बार केजरीवाल ने एक नया दांव खेला है, जो दिल्ली की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।

दो मुख्यमंत्रियों की पत्नियां उतरीं चुनाव प्रचार में

इस चुनाव में केजरीवाल ने दो बड़े राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पत्नियों को भी चुनावी मैदान में उतारा है। ये महिलाएं घर-घर जाकर जनता से वोट मांग रही हैं। इन दोनों ने दिल्ली की जनता से सीधे संपर्क साधने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रचार शुरू कर दिया है।

किसके समर्थन में उतरीं हैं ये पत्नियां?

  1. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पत्नी, सुनीता गहलोत, और
  2. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की पत्नी, गुरप्रीत कौर।

इन दोनों ने अलग-अलग इलाकों में प्रचार की कमान संभाली है, जहां वे महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों से मिलकर AAP के लिए वोट मांग रही हैं। यह कदम महिलाओं और परिवारों को चुनावी मुद्दों से जोड़ने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि मतदाताओं का व्यापक समर्थन हासिल किया जा सके।

चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव

केजरीवाल की इस नई रणनीति को लेकर राजनीतिक विश्लेषक इसे गेम-चेंजर मान रहे हैं। इस कदम से केजरीवाल ने न सिर्फ अपने समर्थन को मजबूत करने की कोशिश की है, बल्कि महिलाओं और घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके वोट बैंक को भी प्रभावित करने का लक्ष्य रखा है।

केजरीवाल के वादे और दावे

अरविंद केजरीवाल ने इस चुनाव में कई नए वादे किए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा, गरीबों के लिए घर, और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि यदि उनकी सरकार दोबारा सत्ता में आती है, तो वे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में और भी सुधार करेंगे।

पिछले चुनाव के आंकड़े

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था और उसे एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। इस बार के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है, क्योंकि विपक्षी पार्टियां भी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में हैं।

चुनाव में महिलाओं की भूमिका

2020 के विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी लगभग 58% थी, जो पुरुषों से अधिक थी। इस बार केजरीवाल का फोकस महिला मतदाताओं पर विशेष रूप से है, जिसके लिए उन्होंने महिलाओं को सक्रिय रूप से प्रचार में शामिल करने का निर्णय लिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी यह रणनीति उन्हें सत्ता में बनाए रखने में सफल होती है या नहीं।

निष्कर्ष

अरविंद केजरीवाल का यह नया दांव निश्चित रूप से चुनावी माहौल में एक नया मोड़ लेकर आया है। दो मुख्यमंत्रियों की पत्नियों के प्रचार में उतरने से दिल्ली की जनता पर इसका कितना असर होगा, यह चुनाव परिणामों से साफ हो पाएगा। फिलहाल, AAP इस रणनीति के जरिए अपनी सत्ता को फिर से हासिल करने की कोशिश में जुटी है।

बालकृष्ण साहू - सोर्स विभिन्न आर्टिकल्स