Khabarworld24.com -दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में इस बार न केवल मुख्यधारा की पार्टियां जैसे आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस सक्रिय हैं, बल्कि कई छोटे दल भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) समेत कई अन्य क्षेत्रीय और छोटे दल दिल्ली के इस चुनावी दंगल में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये छोटे दल राजधानी की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं, और क्या उनके चुनावी समीकरण AAP, BJP और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे?
छोटे दलों की चुनावी रणनीति
-
BSP (बहुजन समाज पार्टी): मायावती की BSP ने दिल्ली में अनुसूचित जाति के वोट बैंक को साधने के लिए कमर कस ली है। पार्टी दलित समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सामाजिक न्याय और विकास के मुद्दों पर जोर दे रही है। दिल्ली में 15% से अधिक दलित मतदाता हैं, और BSP इस वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। पिछले चुनावों में BSP ने कुछ सीटों पर ठीक-ठाक प्रदर्शन किया था, और इस बार पार्टी अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने के प्रयास में है।
-
AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन): असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने दिल्ली में मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए अपने उम्मीदवार उतारे हैं। दिल्ली में करीब 13% मुस्लिम मतदाता हैं, और AIMIM इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने दिल्ली में सांप्रदायिक सौहार्द और अल्पसंख्यक अधिकारों पर जोर दिया है।
-
NCP (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी): शरद पवार की पार्टी NCP ने भी दिल्ली के चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। हालांकि NCP की दिल्ली में मजबूत पकड़ नहीं है, लेकिन पार्टी महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में अपनी चुनावी पकड़ को देखते हुए दिल्ली में भी अपनी किस्मत आजमा रही है।
-
JDU (जनता दल यूनाइटेड) और RJD (राष्ट्रीय जनता दल) जैसे दल भी दिल्ली चुनाव में बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वांचली और बिहारी मतदाता हैं, जिनके बीच ये पार्टियां अपने जनाधार को मजबूत करने की योजना बना रही हैं।
बड़े दलों पर संभावित असर
दिल्ली में पारंपरिक रूप से AAP, BJP और कांग्रेस का वर्चस्व रहा है, लेकिन छोटे दलों की सक्रियता से इस बार समीकरण बदल सकते हैं। ये छोटे दल भले ही बड़ी संख्या में सीटें न जीतें, लेकिन वे प्रमुख दलों के वोट शेयर में सेंध लगा सकते हैं।
-
AAP (आम आदमी पार्टी): पिछले दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बड़ी जीत दर्ज की थी। AAP के सामने इस बार अपनी सरकार को बचाने की चुनौती है। छोटे दल खासतौर पर AIMIM और BSP का उभार AAP के मुस्लिम और दलित वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। हालांकि AAP का मजबूत जनाधार अभी भी शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी जैसे मुद्दों पर टिका हुआ है, लेकिन ये छोटे दल इस वोट बैंक को विभाजित कर सकते हैं।
-
BJP (भारतीय जनता पार्टी): BJP का दिल्ली में मुख्य तौर पर शहरी और व्यापारी वर्ग पर आधार है। लेकिन छोटे दलों की एंट्री BJP के लिए भी सिरदर्द बन सकती है, खासकर तब जब NCP और JDU जैसे दल प्रवासी वोटर्स को अपनी ओर खींचने की कोशिश करेंगे। BJP ने अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज को भुनाने की कोशिश कर रही है।
-
कांग्रेस: कांग्रेस इस बार अपनी खोई हुई साख को वापस पाने की कोशिश में है। कांग्रेस की रणनीति मुख्य रूप से AAP के खिलाफ चुनाव लड़ने की है। लेकिन छोटे दल कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक, खासकर अल्पसंख्यक और दलित वोटरों को विभाजित कर सकते हैं, जिससे कांग्रेस की राह और कठिन हो सकती है।
आकंड़े और विश्लेषण
- दिल्ली में कुल मतदाता: 1.48 करोड़ (2023 के आंकड़ों के अनुसार)
- दलित मतदाता: लगभग 15% (22 लाख से अधिक)
- मुस्लिम मतदाता: लगभग 13% (19 लाख से अधिक)
- प्रवासी वोटर: दिल्ली में बड़ी संख्या में बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मतदाता हैं, जिन पर JDU, RJD और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों की नजर है।
नतीजों पर असर
दिल्ली में छोटे दलों की एंट्री से इस बार का चुनावी मुकाबला और रोचक हो गया है। जहां एक तरफ बड़े दल अपने जनाधार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ छोटे दल नए समीकरण बनाने में जुटे हैं। अगर ये छोटे दल अपने चुनावी प्रचार और रणनीति में सफल होते हैं, तो यह AAP, BJP और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। छोटे दलों की वजह से वोटों का बंटवारा होने की संभावना है, जिससे बड़े दलों के लिए बहुमत पाना मुश्किल हो सकता है।
निष्कर्ष
दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में छोटे दलों की मौजूदगी ने बड़े दलों की चिंता बढ़ा दी है। जहां एक ओर AAP अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए संघर्षरत है, वहीं BJP और कांग्रेस भी छोटे दलों के उभार से परेशान हो सकते हैं। इन छोटे दलों का प्रदर्शन चुनाव के नतीजों पर निर्णायक प्रभाव डाल सकता है, जिससे दिल्ली की राजनीति में एक नई दिशा मिल सकती है।
बालकृष्ण साहू - सोर्स विभिन्न आर्टिकल्स