Khabarworld24.com -दिल्ली विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपने-अपने प्रचार अभियानों में जुट गए हैं। इस बार का चुनावी माहौल खासा रोचक और अलग है, क्योंकि राजनीतिक दलों के बीच रामभक्ति और भगवान श्रीराम को पाने के 'फॉर्मूला' को लेकर एक अलग ही शोर मचा हुआ है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस चुनावी दंगल में नया तर्क प्रस्तुत करते हुए भगवान श्रीराम को पाने का एक ‘गणितीय फॉर्मूला’ T+T=T बताया है, जिससे राजनीतिक बहस और तेज हो गई है।

T+T=T: क्या है AAP का ‘राम फॉर्मूला’?

आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि रामराज्य की स्थापना और भगवान श्रीराम के सच्चे भक्त बनने का फॉर्मूला 'T+T=T' है। यहां ‘T’ का मतलब है ‘सच्चाई’ (Truth) और ‘सच्चाई + सच्चाई = श्रीराम’, यानी सत्य और ईमानदारी से ही रामराज्य स्थापित किया जा सकता है। AAP का दावा है कि उनका प्रशासनिक मॉडल सत्यनिष्ठा और ईमानदारी पर आधारित है, और वही रामराज्य की ओर एक सही कदम है।

रामभक्ति की होड़

दिल्ली चुनाव में यह मुद्दा केवल AAP तक सीमित नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस भी खुद को भगवान राम के सबसे सच्चे भक्त बताने की कोशिशों में लगी हैं। BJP का हमेशा से ही राम मंदिर और रामराज्य पर जोर रहा है, जबकि कांग्रेस भी इस बार ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की दिशा में बढ़ रही है।

बीते वर्षों में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर BJP ने जो राजनीतिक लाभ उठाया था, अब दिल्ली चुनावों में इसी आधार पर रामभक्ति को फिर से मुद्दा बनाया जा रहा है। हालांकि, AAP ने इसे एक नए मोड़ पर पहुंचा दिया है।

चुनावों में भगवान राम का असर

दिल्ली की राजनीति में भगवान श्रीराम का प्रभाव कितना है, इस पर अलग-अलग आंकड़े और विश्लेषण सामने आ रहे हैं। 2015 के विधानसभा चुनावों में AAP ने 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी, और तब रामभक्ति कोई मुख्य मुद्दा नहीं था। 2020 के चुनावों में भी AAP ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन उस समय चुनावी एजेंडा शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी जैसे बुनियादी मुद्दों पर केंद्रित था।

हालांकि, अब 2025 के चुनावों में रामभक्ति और धार्मिक मुद्दों का खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। भाजपा ने पहले से ही दिल्ली में अपने प्रचार अभियानों में राम मंदिर और हिंदुत्व के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। AAP ने इस नए फॉर्मूले से इसे चुनौती देने की कोशिश की है।

आंकड़ों के साथ तुलना

  1. 2015 का चुनाव:

    • AAP: 67 सीटें
    • BJP: 3 सीटें
    • कांग्रेस: 0 सीटें
  2. 2020 का चुनाव:

    • AAP: 62 सीटें
    • BJP: 8 सीटें
    • कांग्रेस: 0 सीटें
  3. 2025 का अनुमानित चुनावी प्रभाव:

    • ताजा सर्वेक्षणों के अनुसार, रामभक्ति और धार्मिक मुद्दों के बढ़ते प्रभाव से BJP को कुछ बढ़त मिल सकती है, लेकिन AAP का ‘T+T=T’ फॉर्मूला उसे सीधे टक्कर देने का काम कर सकता है। सर्वेक्षण के मुताबिक AAP 50-55 सीटों पर मजबूत है, जबकि BJP 15-20 सीटों पर नजर बनाए हुए है।

निष्कर्ष

दिल्ली विधानसभा चुनावों में रामभक्ति और भगवान श्रीराम को पाने के फॉर्मूले की होड़ अब चुनावी रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। आम आदमी पार्टी अपने सत्यनिष्ठा और ईमानदारी वाले मॉडल को रामराज्य का एकमात्र रास्ता बता रही है, वहीं बीजेपी अपने पारंपरिक हिंदुत्व और राम मंदिर के मुद्दे पर जोर दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली के मतदाता इस रामभक्ति की होड़ में किसका साथ देंगे।

इस बार चुनावी शोर में ‘रामराज्य’ और ‘सत्यनिष्ठा’ की चर्चाएं अहम मुद्दा बन गई हैं, जो चुनाव परिणामों को नए मोड़ पर ला सकती हैं।

बालकृष्ण साहू - सोर्स विभिन्न आर्टिकल्स