khabarworld24.com -छत्तीसगढ़, जो कभी शांत और विकासशील राज्य के रूप में जाना जाता था, अब अपराध की बढ़ती घटनाओं के कारण चर्चा में है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य में विभिन्न प्रकार के अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे सुरक्षा के प्रति लोगों की चिंता बढ़ रही है। यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ में हो रहे अपराधों, उनके पैटर्न, और सरकारी प्रतिक्रिया का विस्तारपूर्वक अध्ययन करती है।
1. अपराध की स्थिति: आंकड़ों की समीक्षा
छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में राज्य में अपराध दर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यहां हम कुछ प्रमुख अपराधों के आंकड़ों को प्रस्तुत कर रहे हैं:
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हत्या:
2020 में हत्या के 950 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 1,200 से अधिक हो गई है, जो लगभग 26% की वृद्धि है। हत्या के मामलों में वृद्धि के पीछे मुख्य रूप से व्यक्तिगत दुश्मनी, पारिवारिक विवाद और अवैध कारोबार शामिल हैं। -
बलात्कार और यौन अपराध:
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है। 2023 में बलात्कार के 1,450 मामले सामने आए, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 1,750 से अधिक हो गया। राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों दोनों में यौन उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। -
डकैती और लूटपाट:
डकैती और लूटपाट के मामलों में भी उछाल आया है। 2023 में लूट के 800 से अधिक मामले थे, जबकि 2024 में यह संख्या 1,000 के करीब पहुंच गई। इस प्रकार के अपराध विशेष रूप से छोटे व्यापारियों और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखे गए हैं। -
साइबर अपराध:
डिजिटलाइजेशन के साथ साइबर अपराध तेजी से बढ़ा है। 2020 में जहां साइबर अपराध के लगभग 500 मामले थे, वहीं 2024 में यह संख्या 1,300 से ज्यादा हो गई है। इसमें बैंक धोखाधड़ी, ऑनलाइन ठगी और पहचान चोरी के मामले सबसे अधिक शामिल हैं।
2. आपराधिक गुटों और नक्सलवाद की भूमिका
छत्तीसगढ़ में अपराध दर के बढ़ने में नक्सलवाद और आपराधिक गुटों की भी बड़ी भूमिका है। खासतौर पर बस्तर और उससे सटे क्षेत्रों में नक्सलियों द्वारा हिंसा और अपहरण की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ नक्सली मुठभेड़ों में वृद्धि हुई है, जो राज्य में अस्थिरता का बड़ा कारण है।
3. पुलिस और सरकारी प्रयास
हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस विभाग अपराध नियंत्रण के लिए कई प्रयास कर रहे हैं, फिर भी इस पर पूरी तरह काबू पाने में असफल रहे हैं। पुलिस विभाग ने 2024 में नए पुलिस कैंप्स और साइबर क्राइम सेल्स की स्थापना की है, लेकिन ये प्रयास अब तक अपराधियों को रोकने में पर्याप्त नहीं रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा 2025 तक साइबर अपराध और महिला सुरक्षा के लिए और भी सख्त कानून लाने की योजना बनाई गई है।
4. राजनीतिक दृष्टिकोण
छत्तीसगढ़ में अपराध की बढ़ती घटनाओं पर विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि राज्य सरकार अपराधियों पर लगाम कसने में नाकाम रही है। वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी का दावा है कि राज्य में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाकर, और स्मार्ट पुलिसिंग की योजनाओं को लागू करके अपराध को नियंत्रित करने के ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
5. सामाजिक प्रभाव
अपराध के बढ़ने से राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। कई क्षेत्रों में व्यापारियों, निवेशकों और पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। इससे राज्य की आर्थिक वृद्धि दर पर भी असर पड़ा है, विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जहां विकास योजनाएं ठप होती जा रही हैं।
6. समाधान की दिशा में कदम
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पुलिस सुधार:
पुलिस बल को अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैस करना अपराध नियंत्रण का पहला कदम हो सकता है। खासकर साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने के लिए पुलिस को प्रशिक्षण और संसाधनों की आवश्यकता है। -
समुदाय आधारित पुलिसिंग:
अपराध नियंत्रण के लिए स्थानीय समुदायों को शामिल करना जरूरी है। विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच विश्वास बहाली का काम किया जा रहा है। -
महिला सुरक्षा:
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा महिला सुरक्षा केंद्रों की स्थापना और आपातकालीन हेल्पलाइन सेवा को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में अपराध की बढ़ती दर निश्चित रूप से राज्य की छवि और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। हालांकि, सरकार द्वारा उठाए गए कदम कुछ हद तक सकारात्मक दिशा में जा रहे हैं, लेकिन इसे और अधिक प्रभावी तरीके से लागू करना होगा। राज्य की जनता और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और जागरूकता अभियान अपराध को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
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