Khabarworld24 -पत्रकारिता सुरक्षा कानून, जिसे मीडिया कर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून के रूप में जाना जाता है, भारत में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके कामकाजी माहौल को सुरक्षित करने के लिए प्रस्तावित एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले कुछ वर्षों में, पत्रकारों पर बढ़ते हमले, धमकियाँ, और उन पर हो रहे अत्याचारों के कारण, इस तरह के कानून की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। इस लेख में हम इस कानून की आवश्यकता, इसके प्रस्तावित प्रावधानों, और पत्रकारों पर हो रहे हमलों के आंकड़ों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
पत्रकारिता सुरक्षा कानून की आवश्यकता:
भारत में पत्रकारों के लिए कार्यक्षेत्र दिन-प्रतिदिन खतरनाक होता जा रहा है। स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता को दबाने के लिए अनेक मामलों में पत्रकारों को धमकियों, शारीरिक हमलों और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पत्रकारिता सुरक्षा कानून इसलिए जरूरी हो गया है ताकि पत्रकार बिना किसी दबाव के स्वतंत्र रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। यह कानून पत्रकारों को कानूनी सुरक्षा, शारीरिक सुरक्षा और कार्य संबंधी प्रोटेक्शन देने का उद्देश्य रखता है।
पत्रकारों पर हमलों के आंकड़े:
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच पत्रकारों पर हमलों में 35% की वृद्धि देखी गई है।
- 2023 में 72 पत्रकारों पर हमले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 18 मामलों में जानलेवा हमले की पुष्टि की गई थी।
- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में से 161वें स्थान पर है, जो पत्रकारों की सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है।
कानून के प्रमुख प्रावधान:
इस कानून में निम्नलिखित प्रावधान होने का प्रस्ताव रखा गया है:
- पत्रकारों की सुरक्षा: पत्रकारों पर हमले होने की स्थिति में आरोपी को सख्त सजा और त्वरित सुनवाई सुनिश्चित की जाएगी।
- हेल्पलाइन और सुरक्षा बल: पत्रकारों के लिए 24/7 हेल्पलाइन सुविधा और आवश्यक सुरक्षा बल की उपलब्धता।
- कानूनी सुरक्षा: पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान कानूनी सुरक्षा दी जाएगी, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार के कानूनी उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।
- आर्थिक सहायता: हमले या उत्पीड़न का शिकार हुए पत्रकारों के लिए मुआवजा और उनके परिवार के लिए आर्थिक सहायता योजना।
- जांच समिति: हमलों की जांच के लिए एक विशेष जांच समिति का गठन होगा जो त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
राज्यों में कानून लागू करने की स्थिति:
- महाराष्ट्र पहला राज्य है जिसने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून लागू किया। 2017 में इस कानून को लागू किया गया था, जिसमें पत्रकारों पर हमले के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है।
- छत्तीसगढ़ में भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा कानून लाने की प्रक्रिया में तेजी आई है, क्योंकि राज्य में भी पत्रकारों पर हमले और धमकियों की घटनाएं बढ़ी हैं।
आलोचना और चुनौतियां:
इस कानून को लागू करने के रास्ते में कई चुनौतियां सामने आई हैं। आलोचकों का मानना है कि यह कानून लागू करना पर्याप्त नहीं होगा, जब तक कि इसके साथ-साथ पुलिस और प्रशासनिक सुधार न किए जाएं। पत्रकारों पर हो रहे हमलों के मामलों में दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलना भी सुनिश्चित करना जरूरी है।
निष्कर्ष:
पत्रकारिता सुरक्षा कानून भारतीय लोकतंत्र के स्तंभ, प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए एक आवश्यक कदम है। जब तक पत्रकारों को उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती, वे स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं कर सकते। इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ, भारत में पत्रकारों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का सुरक्षित माहौल मिल सकता है, जो समाज को सही और सटीक जानकारी प्रदान करने के लिए आवश्यक है।
आंकड़ों के साथ खबर को समेटते हुए:
- 2024 में भारत प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 161वें स्थान पर।
- पिछले 4 वर्षों में पत्रकारों पर हमलों में 35% की वृद्धि।
- 2023 में 72 पत्रकारों पर हमले दर्ज, जिनमें से 18 जानलेवा हमले।
यह कानून पत्रकारों को एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करेगा ताकि वे समाज की सेवा करते हुए निष्पक्ष और निर्भीक रूप से अपने कार्यों का पालन कर सकें।
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