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आज के समय में मोबाइल फोन बच्चों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। बच्चे इसे शिक्षा, मनोरंजन और कभी-कभी अपनी उत्सुकता शांत करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। माता-पिता भी बच्चों को मोबाइल फोन देते समय कई बार इसके फायदों को देखते हैं, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, खासकर जब इस पर सही नियंत्रण न हो। शोध और विशेषज्ञों के अनुसार, मोबाइल का लगातार और अनियंत्रित उपयोग बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव:

1. ध्यान भंग होना:

मोबाइल फोन के लगातार उपयोग से बच्चों की एकाग्रता और ध्यान देने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। शोध में पाया गया है कि जो बच्चे दिन में 2 घंटे से अधिक समय मोबाइल पर बिताते हैं, उनमें ध्यान केंद्रित करने की क्षमता 30% तक कम हो जाती है। लंबे समय तक स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने से मस्तिष्क की गहरी सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता भी घट सकती है।

2. नींद में खलल:

रात के समय मोबाइल स्क्रीन का उपयोग, खासकर नीली रोशनी (ब्लू लाइट) के संपर्क में आने से, बच्चों की नींद की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 50% बच्चे जो रात में मोबाइल का उपयोग करते हैं, वे नींद से जुड़ी समस्याओं से जूझते हैं। नींद की कमी से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, जिससे उनकी स्मरण शक्ति और सीखने की क्षमता कमजोर हो सकती है।

3. शारीरिक गतिविधियों में कमी:

मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों को शारीरिक रूप से निष्क्रिय बना सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 5 से 14 वर्ष के बच्चों में शारीरिक गतिविधियों की कमी से मोटापे का खतरा 20% तक बढ़ जाता है। इसके अलावा, इससे बच्चों की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे मोटापा, हृदय रोग, और थकान हो सकती हैं।

4. व्यवहारिक समस्याएं:

मोबाइल पर हिंसक और अनुचित सामग्री देखने से बच्चों के व्यवहार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 2023 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 60% से अधिक बच्चे जो मोबाइल पर हिंसक वीडियो गेम या सामग्री देखते हैं, उनमें आक्रामकता और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। साथ ही, बच्चों का परिवार और सामाजिक जीवन से दूर होना भी चिंता का विषय बनता जा रहा है।

5. सोशल मीडिया की लत:

सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने से बच्चों की आत्म-छवि प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि छोटे बच्चे जो सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताते हैं, उनमें आत्म-सम्मान की कमी, डिप्रेशन, और चिंता जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

माता-पिता द्वारा उठाए जाने वाले कदम:

1. समय सीमा तय करें:

बच्चों के मोबाइल उपयोग पर स्पष्ट समय सीमा तय करना आवश्यक है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि 5 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मोबाइल उपयोग का समय प्रतिदिन 1 से 2 घंटे तक सीमित होना चाहिए।

2. सकारात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें:

बच्चों को शारीरिक खेल, कला और रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न करना चाहिए। इससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास संतुलित रहेगा और वे मोबाइल पर अत्यधिक निर्भर नहीं होंगे।

3. मोबाइल उपयोग की निगरानी करें:

माता-पिता को बच्चों के मोबाइल उपयोग की निगरानी करनी चाहिए। बच्चों को शैक्षिक और सकारात्मक सामग्री देखने के लिए प्रेरित करना चाहिए, और अनचाही सामग्री से बचाना चाहिए।

4. स्लीप रूटीन बनाएँ:

बच्चों की नींद की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सोने से पहले मोबाइल का उपयोग सीमित करें। बेहतर नींद के लिए सोने से 1 घंटे पहले मोबाइल बंद कर देना चाहिए।

5. मोबाइल फ्री ज़ोन बनाएं:

घर के कुछ हिस्सों जैसे भोजन कक्ष या बेडरूम को मोबाइल फ्री ज़ोन बनाएं, ताकि बच्चे अन्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें और परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिता सकें।

निष्कर्ष:

मोबाइल फोन का सही और सीमित उपयोग बच्चों की शिक्षा और मनोरंजन के लिए सहायक हो सकता है, लेकिन माता-पिता को इसे संतुलित रूप में प्रयोग करने पर ध्यान देना होगा। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अत्यधिक मोबाइल उपयोग से बचना आवश्यक है। माता-पिता द्वारा सही दिशा-निर्देश और समय प्रबंधन बच्चों को मोबाइल के दुष्प्रभावों से बचा सकता है।

आकड़ों के साथ निष्कर्ष:

  • ध्यान भंग होने की समस्या: 2 घंटे से अधिक मोबाइल उपयोग करने वाले बच्चों में 30% तक ध्यान की कमी।
  • नींद में खलल: 50% बच्चे मोबाइल उपयोग से नींद की कमी का सामना कर रहे हैं।
  • शारीरिक निष्क्रियता: 5 से 14 वर्ष के बच्चों में शारीरिक गतिविधि की कमी से मोटापे का खतरा 20% तक बढ़ा।
  • व्यवहारिक समस्याएं: 60% बच्चे जो हिंसक सामग्री देखते हैं, उनमें आक्रामकता बढ़ रही है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों के संपूर्ण विकास में बाधा डाल सकता है। माता-पिता द्वारा समय पर सही कदम उठाने से बच्चों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संरक्षित किया जा सकता है।


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