khabarworld24.com - नई दिल्ली/मॉस्को/कीव – रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध के दौरान अब शांति वार्ता की संभावनाओं में तेजी देखी जा रही है। दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने आगामी शांति वार्ताओं के लिए सकारात्मक संकेत दिए हैं, जिससे युद्ध से त्रस्त क्षेत्रों में उम्मीद की किरण जगी है। यह वार्ता 2022 से चले आ रहे इस युद्ध में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
युद्ध का अब तक का घटनाक्रम:
रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में शुरू हुआ यह युद्ध अब तक हजारों जानें ले चुका है और लाखों लोग बेघर हो गए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इस युद्ध का व्यापक प्रभाव पड़ा है, खासकर ऊर्जा और खाद्यान्न आपूर्ति के संकट ने यूरोप और एशिया के कई देशों को प्रभावित किया है। अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर कूटनीतिक प्रयास विफल रहे थे, लेकिन हाल के सप्ताहों में दोनों पक्षों ने शांति की दिशा में छोटे कदम उठाए हैं।
शांति वार्ता के पीछे की प्रमुख घटनाएं:
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अंतरराष्ट्रीय दबाव: युद्ध की लम्बी अवधि और वैश्विक आर्थिक संकट ने अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, और अन्य प्रमुख देशों को एक बार फिर कूटनीतिक पहल करने के लिए मजबूर किया। हाल ही में जिनेवा में हुए एक उच्चस्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शांति वार्ता के लिए दोनों देशों पर दबाव डाला गया।
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रूस का रुख नरम: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में संकेत दिया कि उनकी सरकार वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए यूक्रेन को कुछ समझौते करने होंगे। उनका कहना है कि यह युद्ध रूस की सुरक्षा चिंताओं के कारण शुरू हुआ था, और वे इस मुद्दे का स्थायी समाधान चाहते हैं।
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यूक्रेन की प्रतिक्रिया: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि उनका देश बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन उनकी शर्तें यह हैं कि रूस को उनके कब्जे वाले क्षेत्रों से सेना वापस बुलानी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा हर हाल में की जाएगी।
शांति वार्ता के लिए प्रमुख प्रस्ताव:
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युद्धविराम: प्रस्तावित शांति वार्ता के पहले चरण में युद्धविराम लागू करने पर सहमति हो सकती है। इस युद्धविराम से मानवीय सहायता को प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाने में मदद मिलेगी।
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क्षेत्रीय विवाद: यूक्रेन और रूस के बीच विवादित क्षेत्रों (क्राइमिया और डोनबास क्षेत्र) पर बातचीत का प्रमुख मुद्दा रहेगा। हालांकि, रूस ने संकेत दिया है कि वह किसी तरह का 'स्वायत्तता' या 'विशेष अधिकार' देने पर विचार कर सकता है, जिससे दोनों पक्षों के बीच किसी तरह का समझौता हो सके।
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वैश्विक मध्यस्थता: संयुक्त राष्ट्र और तुर्की जैसी तटस्थ शक्तियों की मध्यस्थता से वार्ता होने की उम्मीद है। 2023 में तुर्की ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मध्यस्थ के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उस समय हुई अनाज निर्यात डील एक बड़ी सफलता थी।
युद्ध के आर्थिक प्रभाव के आंकड़े:
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यूक्रेन की अर्थव्यवस्था: यूक्रेन की जीडीपी में युद्ध के बाद लगभग 30% की गिरावट आई है। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, यूक्रेन को अपनी बुनियादी ढांचा मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए करीब 400 अरब डॉलर की जरूरत है।
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रूस की स्थिति: रूस पर लगाए गए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों ने उसकी अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। 2024 की पहली तिमाही में रूसी अर्थव्यवस्था में 5% की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, रूस के ऊर्जा निर्यात से उसे कुछ राहत मिली है।
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वैश्विक ऊर्जा बाजार पर असर: रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारी उथल-पुथल मचाई है। यूरोप को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ा, जिससे प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया।
शांति वार्ता की आगामी संभावनाएं:
रूस और यूक्रेन के अधिकारियों ने दिसंबर के अंत तक वार्ता की संभावना जताई है। अगर यह वार्ता सफल रही, तो यह युद्ध के दौरान सबसे बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी। दोनों पक्षों के प्रतिनिधि जिनेवा या इस्तांबुल में बैठक कर सकते हैं। हालाँकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है, और तत्काल समाधान की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।
निष्कर्ष:
शांति वार्ता के संकेत भले ही युद्ध की समाप्ति का रास्ता खोल रहे हों, लेकिन अभी कई पेचीदे मुद्दे सुलझने बाकी हैं। फिर भी, इस वार्ता की संभावनाएं वैश्विक समुदाय के लिए एक राहत की खबर है, जो पिछले ढाई साल से इस संघर्ष के समाप्त होने का इंतजार कर रहा है।
खबर वर्ल्ड24-बालकृष्ण साहू-छत्तीसगढ़ -