खबर वर्ल्ड न्यूज-रायपुर । झारखंड विधानसभा चुनाव में आदिवासी समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव माना जा रहा है, विशेष रूप से 28 विधानसभा सीटों पर, जहां उनकी संख्या निर्णायक भूमिका निभा सकती है। झारखंड, जो 2000 में बिहार से अलग होकर बना था, आदिवासी बहुल क्षेत्र है और यहां की राजनीतिक संरचना अन्य राज्यों से काफी अलग है। राज्य में आदिवासी मतदाता झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) जैसे प्रमुख दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आदिवासी समुदाय की भूमिका:
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28 सीटों पर निर्णायक प्रभाव: झारखंड की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी समुदाय का प्रभुत्व है। इन सीटों पर चुनावी नतीजे अक्सर आदिवासी मतदाताओं के रुख पर निर्भर करते हैं। JMM, जो खुद को आदिवासी हितों का संरक्षक मानता है, इन सीटों पर मजबूत पकड़ रखता है।
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झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की प्रमुखता: JMM, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं, आदिवासी समुदाय के समर्थन पर भरोसा करता है। पार्टी लंबे समय से आदिवासी अधिकारों और मुद्दों के लिए संघर्ष करती रही है, और इस समुदाय में उसका मजबूत आधार है।
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BJP और कांग्रेस की रणनीति: भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियां आदिवासी वोटों को आकर्षित करने के लिए अपने चुनावी अभियानों को केंद्रित कर रही हैं। भाजपा ने पिछली बार हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को चुनौती दी थी, लेकिन उसे आदिवासी वोटों के कारण कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा। कांग्रेस भी आदिवासी मुद्दों पर जोर देकर इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
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आदिवासी मुद्दे: जल, जंगल, जमीन से जुड़े मुद्दे, वन अधिकार, और रोजगार के अवसर इस चुनाव में प्रमुख विषय होंगे। आदिवासी समुदाय के लिए ये मुद्दे सीधे उनकी आजीविका और अस्तित्व से जुड़े होते हैं, इसलिए राजनीतिक दल इन्हें अपने घोषणापत्र में प्रमुखता दे रहे हैं।
विशेष राजनीतिक समीकरण:
झारखंड में अन्य राज्यों की तुलना में राजनीतिक समीकरण जटिल हैं। आदिवासी वोट बैंक के अलावा गैर-आदिवासी मतदाता भी चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं। राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास से जुड़े मुद्दे भी मतदाताओं के रुझान को प्रभावित करेंगे। खासकर पिछली सरकारों के कामकाज और आदिवासी कल्याण योजनाओं का प्रदर्शन आगामी चुनाव के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।
इस चुनावी गणित में आदिवासी मतदाताओं का झुकाव निर्णायक साबित होगा, और इनकी नाराजगी या समर्थन किसी भी राजनीतिक दल की जीत या हार तय कर सकती है।