khabarworld24 -नई दिल्ली । छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठी मइया की आराधना के लिए मनाई जाती है। यह पर्व उनकी कृपा, जीवन, और उन्नति के लिए धन्यवाद देने के उद्देश्य से किया जाता है। छठ पूजा की परंपरा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी है।
छठ पूजा का पौराणिक महत्व:
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रामायण से जुड़ा कथा: माना जाता है कि जब भगवान राम और माता सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब सीता जी ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव की पूजा की थी। इस पूजा को सफल बनाने के लिए उन्होंने निर्जला व्रत रखा और सूर्य देव को अर्घ्य दिया।
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महाभारत से जुड़ी कथा: एक अन्य कथा के अनुसार, महाभारत के पात्र कर्ण सूर्य पुत्र थे और वे प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा करते थे। कर्ण ने जीवनभर सूर्य देव को अर्घ्य दिया और उनकी कृपा से उन्हें अद्भुत शक्ति प्राप्त हुई। छठ पूजा सूर्य देव की उन्हीं शक्तियों को प्राप्त करने की एक प्रक्रिया मानी जाती है।
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छठी मइया की पूजा: लोक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा में छठी मइया की पूजा की जाती है, जिन्हें संतान और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। विशेष रूप से महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति और परिवार की भलाई के लिए इस पूजा को करती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। इस पूजा के दौरान सूर्य को अर्घ्य देते समय जल और सूर्य के बीच एक विशेष वातावरण उत्पन्न होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जल और सूर्य के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन D का उत्पादन बढ़ता है, जो हड्डियों के लिए लाभकारी होता है।
छठ पूजा में प्राकृतिक तत्वों, जैसे जल, सूर्य, और पृथ्वी की पूजा होती है, जो प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रतीक है।
यह त्योहार चार दिन तक चलता है और इसमें शुद्धता, नियम, और अनुशासन का विशेष महत्व होता है।