नई दिल्ली। यदि आपका बच्चा छह साल से कम आयु वर्ग का है तो उसे मोबाइल व टीवी स्क्रीन से दूर रखिए। ऐसा न करने पर आपको पछताना भी पड़ सकता है। बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम और स्क्रीन एक्सपोजर के दुष्प्रभाव बेहद गंभीर हो सकते हैं। मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र की ओर से किए सर्वे में यह परिणाम सामने आए हैं।
मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र की प्रवक्ता डा. मनीषा तेवतिया ने यह सर्वे अपनी टीम के साथ किया। आनलाइन एवं आफलाइन सर्वे में करीब चार सौ अभिभावकों और उनके बच्चों को लिया गया। सर्वे में सामने आया कि ज्यादा स्क्रीन पर रहने से छह साल से कम आयु वर्ग वाले बच्चों के मानसिक विकास पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सर्वे में सामने आया कि छह साल से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम और स्क्रीन एक्सपोजर के दुष्प्रभाव बेहद गंभीर हो सकते हैं, क्योंकि यह उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों (अमेरिकन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स) के अनुसार, छह साल से कम आयु वर्ग के बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना चाहिए, सिवाय वीडियो कॉलिंग जैसी विशेष परिस्थितियों के।
दिमागी विकास में बाधा
डा. मनीषा तेवतिया का कहना है कि इस आयु वर्ग में बच्चों का मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है, लेकिन स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग से उनका संज्ञानात्मक और भाषाई विकास बाधित हो सकता है। यही नहीं बच्चों को भाषा और सामाजिक कौशल सिखाने के लिए व्यक्तिगत इंटरेक्शन की जरूरत होती है, जो स्क्रीन टाइम से प्रभावित हो सकता है। स्क्रीन के समक्ष ज्यादा समय बिताने वाले बच्चे बातचीत और अन्य लोगों के साथ सामाजिक संबंध बनाने में भी पीछे रह सकते हैं।
नींद में भी आती है कमी
स्क्रीन एक्सपोजर से नींद भी प्रभावित हो सकती है, जिससे बच्चों की नींद की नियमितता और उनकी मानसिक सेहत पर सीधा असर पड़ता है। यही नहीं स्क्रीन टाइम के कारण बच्चे शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहते हैं, जो उनकी शारीरिक क्षमता और मांसपेशियों के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
स्क्रीन का उपयोग सीमित करें
बकौल डा. मनीषा छह साल से कम आयु वर्ग के बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखने का प्रयास करें। अगर स्क्रीन का उपयोग हो भी, तो वह वीडियो कालिंग जैसी सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण गतिविधियों तक ही सीमित हो। इसकी बजाय बच्चों को खिलौने, किताबें और शारीरिक खेलों के साथ व्यस्त रखें, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही तरीके से हो सके। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं, बात करें, गाने गाएं, कहानियां सुनाएं। उनकी प्रतिक्रियाओं को प्रोत्साहित करें। यह उनके भाषा और सामाजिक कौशल के विकास में मदद करेगा।
नींद की दिनचर्या भी बनाए रखें
बच्चों की नींद का समय तय करें और सुनिश्चित करें कि सोने से पहले वे स्क्रीन से दूर रहें। सोने से पहले उन्हें शांत और आरामदायक वातावरण प्रदान करें। परिवार के सभी सदस्य इस बात से अवगत हों कि बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करें कि वे भी बच्चों के सामने कम से कम स्क्रीन का उपयोग करें।