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हिंदू पंचांग के अनुसार, विजयादशमी का त्योहार प्रत्येक साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि विजयादशमी के दिन ही भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और अधर्म पर धर्म की जीत हासिल की थी। मान्यता है कि विजयादशमी पर असत्य पर सत्य की भी जीत हुई थी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विजयादशमी के दिन रावण के साथ कुंभकर्ण और इंद्रजीत के पुतलों का दहन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल विजयादशमी का
नवरात्र का छठा दिन देवी मां के अलौकिक स्वरूप मां कात्यायनी को समर्पित होता है। मां कात्यायनी के इस रूप में वे सिंह पर सवार हैं और उनके सिर पर मुकुट है। माता की चार भुजाएं हैं। मान्यता है कि मां के इस स्वरूप की पूजा करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन मां कात्यायनी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा करती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में मंगल ही मंगल होता है। इसलिए भक्त
नवरात्र का त्योहार मां दुर्गा को समर्पित है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र का पांचवा दिन मां स्कंदमाता का समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार, इस बार नवरात्र पूजन का पांचवां दिन 19 अक्टूबर को होगा। मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। स्कंद का अर्थ है ज्ञान को आचरण में लाकर कार्य करना। स्कंदमाता ऊर्जा का वह रूप है जिनकी पूजा करने से ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों
शारदीय नवरात्रि में चौथे दिवस की अधिष्ठात्री देवी कूष्मांडा हैं। नवदुर्गा ग्रंथ (एक प्रतिष्ठित प्रकाशन) के अनुसार इनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें इन्होंने कमण्डल, धनुष–बाण, कमल अमृत कलश चक्र और गदा धारण कर रखा है। इन अष्टभुजा माता के आठवें हाथ में सिद्धियों और निधियों की जप माला है और इनकी सवारी भी सिंह है।
ये स्रुष्टि का निर्माण करनेवाली देवी हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब किसी भी वस्तु का अस्तित्व नहीं था तब कूष्मांडा देवी ने अपनी हंसी से
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है और इस साल नवरात्रि पर्व की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो चुकी है। इस दौरान देवी मां के नौ रूपों की विशेष आराधना की जाती है। मां के हर स्वरूप के लिए अलग-अलग मंत्रों का जाप किया जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, दुर्गा उत्सव के दौरान 9 दिनों को इन मंत्रों का जाप करने से परिवार के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
मां शैलपुरी का मंत्र
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के