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मां दुर्गा के उपासना के नौ दिनों में महानवमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा होती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की महानवमी 14 अक्टूबर, गुरुवार को है। देवी के भक्त जो नौ दिनों का व्रत रखते हैं इस दिन हवन कर कन्या पूजन करते हैं। मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार महानवमी को ही देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया था, इसी कारण उन्हें महिषमर्दिनी भी कहा जाता है। 
शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 13 अक्टूबर, बुधवार को रात 8.07 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर, गुरुवार शाम 6.52 तक रहेगी। गुरुवार सूर्योदय के बाद आप महानवमी की विशेष पूजा कर सकते हैं। 
पूजा की विधि
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि का सबसे विशेष दिन महानवमी का होता है। ये मां की आराधना और पूजा का नवां दिन होता है। महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए सुबह-सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। इसके बाद जहां आप ने मां को स्थापित किया है यानी जहां कलश रखा है वहां मां की तस्वीर या प्रतिमा पर कमल के फूल चढ़ाएं। अब धूप, दीप, और अगरबत्ती जलाकर मां की पूजा करें। चंदन और सिंदूर भी चढ़ाएं। अब दुर्गा सप्तशती में दिए मंत्रों का जाप करें। पूजन के बाद हवन करें और कन्या पूजन करें। कन्या पूजन इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, कई लोग 
भोग में बनाए ये पकवान
महानवमी नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। इस दिन देवी को पूरी, हलवा, गुलगुला और मालपुए का भोग लगाया जाता है। इस दिन चने की सब्जी बनाई जाती है जो मां के भोग में शामिल रहती है। ध्यान रहे कि इस दिन भोग बिल्कुल सात्विक होना चाहिए। इस दिन सब्जी में लहसुन या प्याज नहीं डाली जाती है। इसके साथ ही मां को खीर बना कर चढ़ाने की भी परंपरा है।
 
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