नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित मादक पदार्थ की तस्करी में शामिल होने के आरोपी विदेशी नागरिक को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि मौके पर उसकी मौजूदगी पहली नज़र में मामले में उसकी संलिप्तता साबित करती है।

अदालत ने कहा कि मामले में सह-आरोपियों के पास से आठ किलोग्राम हेरोइन और 1,070 ग्राम कोकीन बरामद की गई थी जिसे व्यवसायिक मात्रा माना जाता है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सह-आरोपियों के साथ संपर्क में था और प्रतिबंधित पदार्थ प्राप्त करने आया था।

न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा, “ यह मानने का कोई उचित आधार नहीं है कि याचिकाकर्ता अपराध का दोषी नहीं है।”

उच्च न्यायालय ने कहा कि मादक पदार्थ संबंधी एनडीपीएस अधिनियम के तहत जमानत देने के लिए निर्धारित सीमाएं संतुष्ट नहीं होती हैं और इस स्तर पर याचिकाकर्ता किंग्सले नवान्ने को कोई लाभ नहीं दिया जा सकता है और उसकी याचिका खारिज कर दी।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) को सूचना मिली थी कि 27 जनवरी 2021 को युगांडा की दो महिलाएं भारी मात्रा में प्रतिबंधित नशीले पदार्थ लेकर यहां इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे आने वाली हैं।

उसने बताया कि महिलाओं के पहुंचने पर उनके सामान की तलाशी ली गई और हेरोइन तथा कोकीन बरामद की गई।

जांच के दौरान उन्होंने बताया कि ये पैकेट यहां विकास पुरी में एक शख्स को दिया जाना है और नवान्ने को मौके से जांच एजेंसी ने पकड़ लिया।

अदालत ने कहा कि सह-आरोपी शरीफा नामगंडा के फोन करने के बाद याचिकाकर्ता विकास पुरी स्थित पेस्ट्री प्लेस में आया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।