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नई दिल्ली। सरकार चालू वित्त वर्ष में वित्तीय रूप से मजबूत तीन से चार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराने की तैयारी में है। सूत्रों ने बताया कि एकीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार इन आरआरबी का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाएगी। 
सूत्रों ने बताया कि बैंकों के एकीकरण की प्रक्रिया जारी है। इसके तहत आरआरबी की संख्या को 45 से घटाकर 38 पर लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी कुछ और एकीकरण हो सकते हैं क्योंकि राज्य सरकारों की ओर इसके लिए मंजूरी मिल गई है। सूत्रों ने कहा कि राज्य के भीतर ही आरआरबी के एकीकरण से आरआरबी का ऊपरी खर्च कम होगा, प्रौद्योगिकी का महत्तम इस्तेमाल हो सकेगा, पूंजी आधार उनके परिचालन क्षेत्र का विस्तार होगा और उनकी पहुंच बढ़ेगी। फिलहाल आरआरबी में केंद्र की 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक की 35 प्रतिशत और राज्य सरकारों की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। संशोधित कानून के तहत हिस्सेदारी बिक्री के बावजूद केंद्र और प्रायोजक बैंक की कुल हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे नहीं आ सकती। बजट 2019-20 में आरआरबी के पूंजीकरण के लिए 235 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 
देश भर में 21 हजार से अधिक शाखाएं 
देशभर में ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों की 21 हजार से अधिक शाखाएं हैं। इन बैंकों की अहम भूमिका ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन का है। इसी को देखते हुए केंद्र ने सबसे पहले 2010-11 में पूंजी डालाने की स्वीकृति दी थी। एकीकरण का कदम भी वित्तीय मजबूती के लिए ही है।
हाल ही में 21 बैंकों का एकीकरण किया गया 
पिछले कुछ माह के दौरान विभिन्न राज्यों में 21 बैंकों का एकीकरण किया गया है। इन बैंकों की स्थापना आरआरबी कानून, 1976 के तहत छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए की गई थी।
निवेश करने का सुनहरा मौका मिलेगा 
सरकार तीन से चार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आईपीओ लाने की तैयारी में है। इन बैंकों का आईपीओ इसी साल आ सकता है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी अवधि को ध्यान में रखकर आईपीओ में निवेश करना फायदेमंद होगा। ऐसा इसलिए कि जिन बैंकों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की तैयारी चल रही है उनकी वित्तीय स्थिति काफी मजबूत है।
 
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